Book Title: Jain Gaurav Smrutiya
Author(s): Manmal Jain, Basantilal Nalvaya
Publisher: Jain Sahitya Prakashan Mandir

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Page 751
________________ * जैन-गौरव स्मृतियां ___ सं० १९३२ कार्तिक शुक्ला १५ है । आपके ३ पुत्र हुए-जिनमें सेठ लालचन्दजी विद्यमान हैं । आपका जन्म सं० १९६६ आषाढ़ शुक्ला १४ है । आप स्थानकवासी - धर्मानुयायी हैं । उटकामंड १४ मैन बाजार में “पूनमचंद लालचन्द" के नाम में कपड़े का व्यवसाय होता है । सेठ लालचन्दजी एक धर्मप्रेमी मिलनसार सज्जन हैं । आपके भंवरलालजी। . नामक एक पुत्र हैं जिनका जन्म सं० १६६२ आषाढ़ शुक्ला ५ है । * सेठ किशनलालजी फूलचन्दजी लूणिया, बंगलोर सीटी आपका मूलनिवास स्थान पीपलिया ( जैतारण मारवाड़ ) है। श्राप छोटी वय में ही बंगलोर आये और कुछ वर्षों नौकरी करने के पश्चात् अपनी तीव्र बुद्धि से नीजि दुकान शुरु की। धीरे धीरे चातुर्यता से व्यवसाय विशाल रूप में बढ़ गया आर बम्बई, मद्रास, शोलापुर, अहमदाबाद, व्यावर आदि स्थानों में शाखायें खोली। . आप बड़े ही सदाचारी सादगी प्रिय और प्रतिज्ञा के पक्के हैं । चौविहार व्रत करीब ३० वर्ष से बरावर पाल रहे हैं। धार्मिक नित्य नियम के पक्के हैं। ___ बंगलोर की गौ रक्षिणी शाला के आप प्रमुख है । इस समय आपकी वय करीव ७१ वर्ष है। आपके पुत्र हुए थे पर जीवित न रहने से चंडावल निवासी सेठ मिश्रीलालजी जैवतराजजी . के छोटे भाई श्री फूलचन्दजी को गोद लाये। .. श्री . फूलचन्दजी भी एक धर्म निष्ठ, मिलनसार और शिक्षा प्रेमी सज्जन है । सार्वजनिक जनहित के कार्यों में पूरी दिलचस्पी रखते हैं । उदार चेता । साहित्य रतिक होने के साथ साथ धार्मिक नित्य नियम व व्रत उपवास आदि तपश्चर्या में भी दिल चस्पी रखते हैं सेठ किशनलालजी लूणिया, बंगलोर आपके जयकुमार नामक एक पुत्र हैं-जिनका जन्म ता०. १५-११-५० को हुआ। . .

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