Book Title: Jain Gaurav Smrutiya
Author(s): Manmal Jain, Basantilal Nalvaya
Publisher: Jain Sahitya Prakashan Mandir

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Page 749
________________ जैन-गौरव स्मृतियां हए । श्री सेठ वस्तीमलजी धर्म निष्ठ परोपकारी सज्जन थे, सं १६६४ में अपने राखी के मंदिर की प्रतिष्ठा करवाई। arrian.mamimages mastramgig .... . ... ... .. . सेट आईदानमलजी लूकड़ श्री चंपालालजी लूकड़ वर्तमान में इस परिवार में सेठ बस्तीमलजी के पुत्र सेठ आईदानमलजी तथा बस्तीमलजी के बड़े भाई श्री हजारीमलजी के पुत्र लच्छीरामजी के पुत्र चम्पालालजी हैं। श्री सेठ आईदानमलजी वड़े उदारदिल और समझदार सज्जन हैं । इस समय आपकी ४६ वर्ष की अवस्था है । श्री चम्पालालजी आदर्श विचारों के समझदार २८ वर्षीय युवक हैं । आपके बाबूलाल नामक एक पुत्र है। आपके यहाँ 'शा आईदानमल चम्पालाल' के नाम से काम होता है। *सेठ चुन्नीलालजी छगनमलजी पैद, उटकामंड परिवार का मूल निवास स्थान रास (मारवाड़) है। बाद में ध्यावर आये। सं० १९१८ में सेठ चुन्नीलालजी व छगनलालजी ने सेट रिखबदास फतेहमल की माझेदारी में सर्राफी का व्यापार प्रारंभ किया । वर्तमान में इस फर्म पर कपड़े. का व्यवसाय होता है।

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