Book Title: Jain Gaurav Smrutiya
Author(s): Manmal Jain, Basantilal Nalvaya
Publisher: Jain Sahitya Prakashan Mandir

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Page 748
________________ जैन गौरवस्मृतियां “चांदमल बालचन्द वच्छावत" के नाम से आपका व्यवसाय होता है। कुन्नर तथा नीलगिरी के सुप्रसिद्ध बैंकर और चाय के बड़े व्यापारी हैं | आप ही विचारशील शिक्षा प्रेमी, समाज सुधारक और समाज व धर्मप्रेमी हैं। अ ने कुन्नूर में योगीराज श्री मद जैनाचार्य श्री विजय शांति सूरीजी के रुमर ए एक बड़ी रकमदान में देकर शान्ति विजय गर्ल्स हाई स्कूल की स्थापना की हैं । ० भारत वर्षीय ओसवाल व जैन समाज में आप बड़े ही सम्माननी सज्जन माने जाते हैं। आपके ४ पुत्र हैं:- निहालचन्दजी, शांतिलालजी जयन लालजी, सूर्यकुमारजी फर्म पर साहूकारी लेन देन होता है। सिनेमा तथा कृषि कार्य भी होता है । / ★ सेठ पावूदानजी चौरड़िया, कुन्नूर (नीलगिरी ) आपका मूल निवास स्थान पली व फलं दी (मारवाड़) है । पिता सेठ जसराज आपका जन्म सं० १६३६ में हुआ । सं १६५८ में आपने अलसी दास एण्ड ब्रदर्स के नाम से कुन्नूर में बैंकिंग का व्यवसाय प्रारंभ किया । बाद में जसराज पावूदान के नाम से कपड़े का व्यापार भी प्रारंभ किया । आपके ३ पुत्र हुए सेठ रतनलालजी, मेघराजजी तथा गुलाबचन्दजी | श्री रतनलालजी पी. रतनलाल एण्ड को. के नाम से चायका थोक वन्द व्यवसाय करते है । श्री मेघराजजी व श्री गुलाब चन्दजी 'पाबूदान गुलाबचन्द' के नाम से नीलगिरी तेल चाय व बैकिंग का व्यंवसाय करते हैं । श्री रतनलालजी के ४ पुत्र- मनोहमल जी सम्पतलालजी कान्तिलालजी व देवराजजी । श्री मेघराजजी के प्रेमचन्द तथा श्री गुलाबचन्दजी के ४ पुत्र हैं- पारसमलजी, मंगलचन्जी, पूनमचन्दजी अशोककुमारजी । कुन्न ूर में यह फर्म बड़ी प्रतिष्ठित श्रीमन्त मानी जाती है । ---- ★ शा० आईदानमन्तजी चम्पालालजी बेल्लारी के आपका मूल निवास स्थान राखी सिवाना (मारवाड़) है | सेठडू गरचंड पुत्र श्री वस्तीमलजी के आईदानमलजी और बादरमलजी नमक दो 3

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