Book Title: Jain Gaurav Smrutiya
Author(s): Manmal Jain, Basantilal Nalvaya
Publisher: Jain Sahitya Prakashan Mandir

View full book text
Previous | Next

Page 745
________________ जैन-गौरव-स्मृतियां . * ७८३ دشمنی animaant जिनका जन्म सं० १६६८ भादवा सुदी ८ है । आप बड़े मिलनसार स्वभावी सज्जन हैं । सेठ जुगराजजी के ३ पुत्र हैं-केवलचंदजी सुगनचन्दजी व वर्धमानजी। सेठ शान्तिलालजी डोसी, गढ़ हिंग्लाज महेसाणा निवासी सेठ देवीचंदजी और छगनलालजो सहोदर बंधु थे । दोनों ने सं० १६५७ में गढ़ हिंगलाज ( कोल्हापुर ) में मृगफली का व्यवसाय प्रारंभ किया । सेट श्री देवीचन्दजी के पुत्र श्री शान्तिलाली का जन्म सं० १६५८ में हुआ। आप एक विचार शील समाज व धर्म प्रेमी युवक हैं। साधु सेवा में बड़ी दिलचस्पी है । अापने बड़े २ जैन तीर्थों की यात्रायें की है। श्री रतीलालजी आपके लघु भ्राता है। सेठ छगनलालजी के तुलारामजी नामक पुत्र हैं जो एक होनहार युवक हैं। मेसर्स देवीचन्द छगनलाल नाम से व्यवसाय होता है। * सेठ कचरुलालजी बावड़, जालना - आपका मूल निवास स्थान वाजायल (जोधपुर) है । पिता सेठ कपुरचन्दली श्रावड । जन्म संवत १६७० श्रापाढ़ शुक्ला । फर्म १५० वर्षों से जालना में न्धित हैं और यहां की सर्वोपरि प्रतिष्ठित श्रीमन्त फर्मों में मानी जाती है। परिवार की श्रोर से समय समय पर धार्मिक व सामाजिक कार्यो में सदा सहयोग दिया जाता है। चांदवड़ व चिंचवड़ जैन विद्यालयों में आपकी ओर से कमरे बने हुए हैं। पाया परी में चंदा प्रभुजी के मंदिरजी के पास करीव २५०००) की लागत के मकान बनाये गये हैं । २५०००) शुभ कार्यो के हेतु निकाले गये । मुलपाजी तीर्थ में एय. चौमुखी प्रतिमा विगाजित देवालय का निमारण कराया इस 1 प्रकार की धार्मिक कार्य भापकी ओर से हुए हैं और होते रहते हैं। . ms ... श्राप बड़े उद्वार विचार शील मिलन सार खमावी सम्जन है कपुरचंद कंचरलाल आवद तथा धनम्प मलजी दगनमलजी के नाम से सरकारी लेनदेन का व्यवसाय होता है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775