Book Title: Jain Gaurav Smrutiya
Author(s): Manmal Jain, Basantilal Nalvaya
Publisher: Jain Sahitya Prakashan Mandir

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Page 681
________________ जैन-गौरव-स्मृतियाँ आपके परिवार को वंश परम्परा से सेठ पदवी प्राप्त है। स्थानीय म्यनिसिपल के प्रेसिडेन्ट एवं जैन सभा के खजान्ची हैं। बड़े पुत्र श्री धर्मचन्जी १६ वर्प के एवं सम्पत कुमारजी ७ वर्ष के है । दोनों भाई अभी अध्ययन कर रहे है । "सेठ डालचन्द गुलाबचन्द" नामक आपकी फर्म पर माल गुजारी साहूकारी एव श्राढ़त इत्यादि का काम होता है । दमोह में फर्म की अच्छी प्रतिष्ठा है यहाँ पर आपकी काश्तकारी भी होती है। * सेठ हमीरमलजी लूणावत करेली गंज (सी. पी.) श्राप ६१ वर्षीय वयोवृद्ध महानुभाव है। आप सफल व्यवसायी धर्मानुरागी और सहृदय सज्जन है। आपके पूज्य पिता सेठ हजारीमलजी आदर्श धार्मिक थे। श्री हमीरमलजी के घेवरचन्दजी, रूपचन्दजी, स्वरुपचन्दजी, एवं लिखमीचन्द जी नामक चार पुत्र है इनमें जेष्ठ पुत्र के केवलचन्द और प्रमोद कुमार नामक दो पत्र है । रुपचन्दजी के विजयकुमार, स्वरूपचन्दजी के पारसचन्द्र और लिखमी चंदजी के शरत चन्द्र नामक पत्र है। आपका परिवार वेताम्बर आम्नाय का उपासक है । स्थानीय जैन समाज में यह परिवार बड़ा प्रतिष्टित एवं सन्मान्य है। जारीमल हमीरमलं" नामक फर्म पर गल्ले का और स्वरूपचन्द सूरज मल फर्म पर सोना चांदी और सर्राफी का काम होता है । स्थानीय फर्मों में इस फर्म की बड़ी प्रतिष्ठा है। *सेट शिखरचंद्रजी जैन, इटारसी इटारसी निवासी सेठ मन्नूमल जी के सुपत्र श्री शिखरचन्दजी का जन्म १ अगस्त १६२८ का है। आप उत्साही मिलनसार और सभा संस्थाओं में सहयोग देने वाले युवक है। विचारों में प्रगति शीलता एवं उदार दृष्टिकोण है। हिन्दी साहित्य और जैन जाति के साहित्य वर्धन कार्यों में आपका बड़ा योग रहतार श्री राजकुमारजी नामक आपके एक पत्र है। __ "बालचन्द मन्न लाल जैन" नामक आपकी फर्म पर किराना गल्ला एवं टिम्वर मर्चेट का काम होता है। पंजावांत * सेट आनन्दराजजी सुराणा, देहली आपने राजन्यान जाति के लिए. अतिशय यातनायें नहीं और कई शार जेल की यात्रायें भी की। सन १६४२ के देश व्यापी आन्दोलन में भी भाप नसर चन्द

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