Book Title: Jain Gaurav Smrutiya
Author(s): Manmal Jain, Basantilal Nalvaya
Publisher: Jain Sahitya Prakashan Mandir

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Page 739
________________ * सेठ शेषमलजी वग्तावरमलजी देवड़ा, औरंगावाद इस परिवार का मूल निवास स्थान बगड़ी मारवाड़ है। बग्तावरसज़जी के २ पुत्र हुए सेठ समर्थमलजी व सेठ शेवमलजी । आप स्थानकवासी धर्मानुयायी हैं । इस परिवार के पूर्वज सेठ बुधनतजी व जवाहरमलजी व्यापारार्थ औरंगाबाद आये और फर्म स्थापित की। वर्तमान में सेठ शेषमलजी फर्म के संचालक हैं । श्रापका व्यापार में उन्नति करने के साथ धर्मकार्यों व दान पुण्य की तरफ भी अच्छा लक्ष्य है। आपकी बगड़ी व औरंगाबाद में बड़ी प्रतिष्ठा हैं । सेठ समर्थमलजी की स्मृति में समर्थमल जैन धर्मशाला एक लाख रुपये की लागत से तथा दो लाख का ट्रस्ट शुभ कार्यों के लिये बनाया। बीस हजार की लागत से पानी की सुविधा के लिये बगड़ी में समर्थ सागर नामक विशाल कुआ बनवाया । बगड़ी में एक धर्मशाला भी | मन्दिर जी के जिर्णोद्धार वगैरह में भी आपको ओर से सहायता प्राप्त रहती है। पोपधशाला वगैरह में भी आपकी अच्छी सहायता रही है। शेपमलजी के २ पुत्र हैं- श्री माणकचन्दजी तथा श्री मोतीलालजी जिनका जन्म क्रमशः सं० १६०६ पौष वदी ५ तथा सं १६६६ कार्तिक वदी १० है । आप दोनों भी बड़े मिलनसार सज्जन हैं। फर्म की ओर से सदाप्रत भी चालू है । ★ सेठ मयकरणजी मगनीरामजी नखत, [ कुचेरिया ] जालना इस खानदान का मूल निवासस्थान, वडू ( जोधपुर स्टेट ) है | आप श्वेताम्बर "मन्दिर आम्नायी हैं । कुबेरे से उठने के कारण आपको कुवेरिया नाम से पुकारते है | इस खानदान के रघुनाथमलजी करीब सवा सौ वर्ष पहले मारवाड़ से दक्षिण में श्रये । यहां आकर खेड़े में अपना व्यापार चलाया, तदन्तर इनके पुत्र मयकरणजी ने जालना में उक्त नाम से अपनी फर्म स्थापित की। सेठ मयकरणजी और मगनी रामजी के निसन्तान गुजरने पर सेल मगनीरामजी के नाम पर सूरजमलजी को वृत्तक त्रियां । सेठ सूरजमलजी के पुत्र मोहनलालजी कुचेरिया हुए। अपका संवत् १६६६ में जन्म हुआ | आपके पुत्र न होने से आपने किशन लालजी को दत्तक लिया । वर्तमान में सेठ किशनलालजी ही फर्म संचालक है । थाप बड़े धर्मात्मा सज्जन है | आप स्थानीय प्रभूजी मंदिर के दी है। आपके ताजी व मनोहरलालजी २ पुत्र नया डल के पुत्र ध्यानन्य वत्र

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