Book Title: Jain Divakar Smruti Granth Author(s): Kevalmuni Publisher: Jain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar View full book textPage 9
________________ प्रकाशकीय समारोह आयोजित हुआ। उपाध्याय पं० रत्न श्री मधुकर जी महाराज, श्री प्रतापमलजी महाराज, कविरत्न श्री केवल मुनिजी महाराज, पं० श्री मूल मुनि जी महाराज, श्री अशोक मुनिजी महाराज आदि मुनिवरों व महासतियों के सम्मिलन से समारोह की शोभा में चार चाँद लग गये । इस प्रसंग पर स्व० गुरुदेवश्री के परम भक्त महाराणा भूपालसिंहजी (उदयपुर) के वंशज श्रीमान् महाराणा भगवतसिंहजी भी पधारे थे। अखिल भारतीय श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कास एवं अखिल भारतीय जैन दिवाकर जन्म शताब्दी समारोह महासमिति की खास मिटिंग भी हुई। महासमिति की कार्यकारिणी के समक्ष 'जैन दिवाकर स्मृति ग्रन्थ' प्रकाशन का पुनः जोरदार आग्रह आया और समिति ने सर्वानुमति से प्रस्ताव पास कर कविरत्न श्री केवल मुनिजी महाराज से स्मति-ग्रन्थ निर्माण का दायित्व अपने हाथों में लेने की प्रार्थना की। गुरुदेव की स्मृति में आयोजित कार्य और समाज की आग्रह-भरी विनती को ध्यान में रखकर कवि श्री केवल मुनिजी महाराज ने स्मृति-ग्रन्थ सम्पादन आदि का दायित्व स्वीकार कर लिया । रूपरेखा बनी। विद्वानों से विचार-विमर्श हुआ। जैन दिवाकर स्मृति निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन भी हुआ और कुल मिलाकर श्री जैन विवाकर स्मृति ग्रन्थ के रूप में यह श्रद्धा का सुमन गुरुदेवश्री के चरणों में समर्पित करने में हम सफल हए । ग्रन्थ के सम्पादन में श्रीयुत श्रीचन्दजी सुराना, डा० श्री नरेन्द्र भानावत,श्री विपिन जारोली आदि का भावपूर्ण सहयोग मिला तथा कविरत्न श्री केवल मुनि जी महाराज की प्रेम पूर्ण प्रेरणा से प्रेरित होकर अनेक उदार सज्जनों ने अर्थ सहयोग दिया। श्री ज्ञानचन्द जी तातेड़, श्री नेमीचन्द जी तातेड़ श्री कमलचन्द जी घोडावत आदि उत्साही युवकों एवं बहनों ने भी बहुत सहयोग दिया। अगर श्रीचन्दजी सुराना का सहयोग नहीं मिला होता तो यह ग्रन्थ इस रूप में सामने नहीं आ सकता एवं देहली के नवयुवक कार्यकर्ताओं का सहयोग नहीं होता तो ग्रन्थ अर्ध मूल्य में प्राप्त होना कठिन था। साथ ही आगरा के प्रमुख प्रेस श्री दुर्गा प्रिंटिंग वर्क्स के मालिक बाबू पुरुषोत्तमदासजी भार्गव का सहयोग भी चिरस्मरणीय रहेगा, जिन्होंने कम समय में बहुत ही सुन्दर रूप में मुद्रणकार्य सम्पन्न कराया। उक्त सज्जनों के साथ ग्रन्थ के लेखक विद्वानों, मुनिवरों, उदार सहयोगियों के प्रति अपना हार्दिक आभार प्रकट करते हुए मैं कामना करता है कि भविष्य में भी इसी प्रकार सबके सहयोग का सम्बल हमें मिलता रहेगा। जय गुरुदेव ! -अभयराज नाहर मन्त्री, जैन दिवाकर दिव्य ज्योति कार्यालय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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