Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 867
________________ १. शब्दानुक्रमणिका (क) तीर्थङ्कर, प्राचार्य, राजा, भावक मावि प्रकलंक-१३८, १५२, २६०, २६७, ४३०, ४६८, ५३२, ५३३, ५३४, ५३५, ५३६, ५३७, ६२८,६५४ अकलंक चन्द्र-५३७ अकलंक देव-५३७ प्रकलंक पंडित-५३६ प्रकलंक मुनि-५३७ प्रकलंक मुनिप्प-५३७ अकलंक देव मूलसंघ-५३७ अकलंक विद्य-५३७ प्रकाल वर्ष-२८७, २८८, २६०, ७३६ अग्नि शर्मा-४४६, ४६४ प्रग्रजन्मा-४१० अंगराज-३०८ प्रचलचन्द-७१० प्रज्जव यति-६४० प्रजवर्मा-२८५ प्रजया-४४१ अजित-१८०, १८२, २६१. २६८, ७१२ अजितसिंह-५२६, ७१४ प्रांजतसेन-२०, २३, १६२, ४८७ प्रजित यश-४०७, ४१० अर्जुन-२६४, ४७४ अडुगुरु-३१० प्रतिभक्त नायनार-४९६ प्रदिपम-३२० अनन्त कीर्ति-१३७, १३६ अनन्त वीर्य-२४२,२४८ अप्पर-४८८, ४८६, ४६०, ४६१, ४६२, ४६३, ४६४, ४६५, ४६६, ४६७, ४६८, ७८७ प्रप्पायिक गोविन्द-५०६ अप्सरा-५०५ अपराजित-१८०, २११, २१३, २१४, २१८, २१९, २६५, ५३६, ५४०, ७६३ अभयकीति-१३८ अभयचन्द्र-१३७, १६५ अभयनन्दि-१६५ अभयदेवसूरी-११, १२, ५६. १००. १०१. १०२, १०५, १०६, ६७८, ६८२, ६८३, ७१२. ७१३ अभिमानदानी-२४२ अभि-२८८ अम्बादेवी-५१६ अम्बरीश-२३७ अम्बिका-१६, १९४, ५२२ अम्मन-२८४ अम्मराज-१८१ अमरकीति वल्लाल-३०० अमरूक-५६२ अमरेन्दुकीति-१३८ अमल भट्ट-२०४ अमरसिंह-६७० प्रमितसागर-४६७, ६७० प्रमोघवर्ष-२६६, २८२, २८३, २८४, २८७, २८८, ६५४, ६६७, ६७२, ६७३, ६७४, ६६८, ६६६. ७६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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