Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 874
________________ ८१६ ] तिरूचारणत्तु कुरतिगल - १८३ तिरुज्न संमधर - २५६ तिरूना वुक्क रस-४९१ तिरू नावुकरसर- ४६० तिरू नावुरडु नयनार-४६३ तिरूपरूती कुरती - १८३, १६६ तिरूमले कुरती - १६८ तिरूमलं कुरती - १८३, १६८ तिरु ज्ञानसंबंधर- ४७२, ४७३, ४७४, ४७५, ४७६, ४७७, ४७८, ४७९, ४८०, ४८२, ४८३, ४५६, ४८७, ४५६, ४६७.४६८, ७८६ तुम्बुलूराचार्य - ६५४ तुरुष्कराज -८०२ तेजुगी - १६६ तेवर ताप लोक गावुण्ड - २४४ तेवारम् - ४८३. ५५३ तेल - २६५, २६६, २६८, ३०१, ३०८. ३२५. ३२६, ६१६ तदेव - २८३, २८४ तैलपदेव - २८४ तोरणाचार्य - २६२ तोरमाण - ३८०, ३६२,३६८, ४२०, ४२१ प थावच्चाकुमार- ६१२ थिरपाल ध्रुव - ४६४ द दड़िग - १५, १६, १३४, २४६, २४७, २४८, २५८, २६०, २६१, २६२, २६३ दंडक - ७६४ दत्त - ७१७ दन्तिदुर्ग - २६०, ५३६, ६२३, ६२५, ६२७, ६२८, ६२६, ६५७, ६६८ दन्ति वर्मा - २८६, ५३६, ६२८ दब्बू भट्ट - २७४ Jain Education International [ जैन धर्म का मौलिक इतिहास - भाग ३ दभ्र भक्त - ४८६, ४८७, ४६६ दशरथ सेन - ७३६ दशा भद्र - ३३८ दयापाल - ६७० दर्शन सूरी - ६८५ द्रमुक - ३३८ दलसुखभाई मालवरिया - १४४, १७७, ५३६ दाम - ३२० दाम नन्दि - १६५ दामोदर ३२०, ३८३ दास वर्मन - ६१६ दाक्षिण्य चिन्ह - ३८७ दिवाकर - २४३ दिवाकर नन्दि- २४३ द्विजाम्बा - २६४ दुग्मार- २६६ दुन्दुक - ६०८, ६१०. ६११. ६१२ दुःप्रसह-२ दुर्ग - ७३४ दुर्ग स्वामी - ४४६ ४६४, ४८५, ७३२. ७३३, ७३४, ७३५, ७४२ दुर्लभदेवी - ४०७, ४०८, ४०६ दुर्लभराज - ८६, ६०, ६१, ६२, ६३, ६४, ६५, ७, ८, १००, १०३, ११५, ११६. ४२८, ८०३ दुर्लभ वर्द्धन - ६३३ d दुर्विनीत कोंगिणं. देला महत्तर सूरि- ४८५ देव ऋषि- ३८२, ३८३, ५०१, ५०२, ७४५ देव कीर्ति - २५० देव गुप्त- ३६५, ४४६, ४६४, ६४२ देव चंद्र - १२८, १२६, १६६.२४३, ७४० देवचंद्र सूरी - ५७५ ५८०, ५८१, ६७५ देवचंद्रलाल भाई - ६८१ For Private & Personal Use Only -६१, २६५ www.jainelibrary.org

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