Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 889
________________ शब्दानुक्रमणिका ] हरि वर्मा - २६४, २६५, २७६, २८०, २८३, २८६ इरिशर्म स्वामी - ३८३, ७०५, ७०६, ७१७ हरिषेण - ४६०, ४६४, ४६६, ५३८, ७४३ हरि सेन- ३८२ हल सोगे बलि- ३१३ हर्ष कीर्ति - १३९ हर्षनिधान सूरी - ३६७ हर्षवर्द्ध त - ५०५, ५०६, ५०७, ५०८, ५०६, ५१०, ५११, ५१२, ६१७, ६२०, ६२२, ६३३ हस्तीमलजी ( प्राचार्य ) - १२२, १४१, २७८ हागल हल्ली - २४५ हारिति - २८० हारिल सूरी - ३, ७६, १०८, १३२, ३८७, ३८८, ४०६, ४१०, ४२४, ४२५, ४२६, ४२६, ४३३, ४४०, ४४१, ४५०, ४६४, ५२६, ६४२, ६४४ हिमशीतल - ५३५, ५३६ हिरण्यवर्मन - ६२६ हीराचन्द श्रोझा - ६४६ हीरालाल - ४३४, ४३८ हूगराज तोरमाण - ३८७, ३६१, ३६३, ४५४, ६४४ हूण राज मिहिरकुल - ४५४, ४५५, ४५६ हेगन जवकेयुप - २४४ Jain Education International मकीर्ति - १३८, १३ε हेमचन्द्र - ७, ३१, ४३८, ६६१, ७४२, ८००, ८०४ हेमन्त - बाल दिरणयर - ३८८ मनन्दी - २४२ हेमसेन (पण्डित) - १६५ लाचार्य - ७४४ ह्वे नत्सांग - ४५४, ५११, ५१२, ६३३ होयसल नरसिंह - ४६३ क्ष क्षमा ऋषि - ६६१, ६६३ क्षमा श्रमरण- ३८५ क्षत्रिय कुमार - १५ क्षेमेन्द्र मुक्ति - १३६ ་ ५०५, ५०६, ५१०, त्रिदाम विबुधानन्दाचार्य - ३०८ त्रिभुवन मल्ल - ३०७, ३१८, ३२० त्रिभुवन स्वयम्भू - ६१२ त्रिलोक पूज्य - ३३६ श ज्ञान ऋषि- ३८३ ज्ञानभूषरण - १३६ ज्ञानविजयजी - ४३३ [ ८३१ For Private & Personal Use Only ज्ञान संबंधर- ४७२, ४८३, ४८६, ४८७, ४८८, ५५३, ५५४, ५६४, ७८७ www.jainelibrary.org

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