Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 928
________________ ८७० ] [ जैन धर्म का मौलिक इतिहास-भाग ३ भौर उनको यथास्थान सजाया है, वह एक सुज्ञ इतिहास के विद्वान् के योग्य कार्य है। इस ग्रंथ को पढ़कर मापके प्रति जो मादर था, वह और भी बढ़ गया है। माशा है, ऐसा ही आगे के भागों में भी माप करेंगे। . श्री राठोड़ का परिश्रम और बहुश्रु तत्त्व इसमें प्रापको सहायक हुमा है, इसको मापने स्वीकार किया है । यह प्रापके और उनके व्यक्तित्व को बढ़ाता है।") Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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