Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 919
________________ सन्दर्भ ग्रन्थ ] [ ८६१ मन्जूश्री मूलकल्प महानिसीह सुत्तं (रोमन लिपि में) Jozer Deleu and Walther ___Sehubring, Hamburg, Craw, De Gruyter & Co. 1963 महापुराण (अपभ्रंश) पुष्पदन्त मीडिएवल जैनिज्म, वी. ए. सेलेटोर, कर्णाटक पब्लिशिंग हाउस, बोम्बे २ मूलाराधना अपर नाम भगवती आराधना-शिवार्य (यापनीय) मूलाराधना-विजयोदया टीका-अपराजित (यापनीय) मेन्युअल प्रॉफ पुदु कोट्टाइ स्टेट वोल्यूम २ मैसूर पाकियोलोजिकल रिपोर्ट ई. १६२३ मैसूर आर्कियोलोजिकल रिपोर्ट, फोर १६३२ मैसूर गवर्नमेन्ट रिपोर्ट ई. १९२० रत्नमाला---प्रा. शिवकोटि राइस मैसूर एण्ड कुर्ग-बी. एल. राइस राजतरंगिणी-कल्हण राजपूताना का इतिहास जिल्द १ ललित विस्तरा-प्रा. हरिभद्रसूरि लोकप्रकाश, उपाध्याय विनय विजय (वि. सं. १७०८) लोक विभाग (संस्कृत)-सिंह सूर्षि वड्ढाराहणे (कन्नड़)-प्रा. शिवकोटि वसुदेव हिंडी- संघदास गणि (जिनभद्र गणि क्षमा श्रमण से पूर्ववर्ती) विचारश्रेणि-प्रा. मेरुतुग विशेषावश्यक भाष्य-जिनभद्र गणि क्षामश्रमण (वीर नि० सं० १०५५-१११५) विशेषावश्यक भाष्य-स्वोपज्ञ वृत्ति वीरवंश पट्टावली--विधि पक्ष पट्टावली, भावसागर सूरि, (वि० सं० १५१६) वृहत्कथा कोष---भट्टारक हरिषेण (वि. स. ६८६) वृहत् पौषधशालिक पट्टावली शंकर दिग्विजय-नवकालिदास-माधव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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