Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur
________________
शब्दानुक्रमणिका ]
[ ८२७
वीर सेन-१४१, १४२, १४८, २८२ २६७,
४५७, ४५८, ६१३, ६१४, ६१५, ६१६, ६५२, ६५.३, ६५४, ६५५, ६५६, ६६५, ६६६, ६६७, ६६८,
६६६, ७३६ वीरेन्द्र वर्मा (डॉ.)-३०३ वुड्ढवाई-१३२ वुष्क भट्ट-२८ वेन्बाई-६२७ वैकटार्य-१६६ वरमेघ-२८६, ५३६, ६२८ वोप्पदेव-३२०, ३२१, ३२२ वृद्धदेवसूरी-१२८, १२६, ६७५, ६७६ वृद्धानन्द भिक्षु-४०६ वृन्द-४४६, ४६४ वृषभ-४४४, ४४५, ७५४ वृषेन्द्र सेन-१६५ वृहद्रथ-६६ वृहस्पति-४६१ वृजट-२६० वृजनन्दि-४७०
शानभोगनर हरियप्प-६५७ शांतिभद्र-६८८. शांतियण-३२४ शांति वर्मा-२१६, २७५, २७६, २७७,
२८२, २८३, २८५, ४३४ शांतल देवी-३०६, ३१५, ३१६, ३१७ शांति सूरी-७५४, ७८१, ७८२, ७८३,
___ ७८४, ७८५,४6शाम्ब कुण्ड-६५४ शार्दूल-४३७ शालिभद्र-६८६ शालि वाहन-७०३ शालि सूरी-६८६, ६८७, ६६१ शिरुत्तोंडा-४८६, ४८७, ४६६ शिरिविय कुरुत्तियार-१८३ शिलादित्य-४०७, ४११, ४१२, ४१३,
४१६, ४१७, ४१८, ४१६, ४२०,
४२२, ४५१, ४५५, ५०५, ५१० शिव-४८०, ४८४, ५०५, ६८६ शिवकोटि प्राचार्य-१२३ शिवकुमार-२५० शिवगुप्त-६४६ शिवचन्द-४४६, ४६४ शिवनन्दि-१३७, ४४३ शिवमृगेश. वर्म-१३५ शिवमार-२६७, २६१, ६५८, ७८१ शिवराज-३८३ शिवरथ-२७५, २८६ शिवार्य-१६०, २१४, ४४३, ५४०, ७४३ शिवशर्म सूरी-४३६ शीलगुण सूरी-८३, ६५, ५६७, ५७२,
५७३, ५७४, ५७५, ५७६, ५८०,
५८१ शीलांक-३६४, ६७५, ६७७, ६७८, ६८०,
६८१, ६८२, ६८३, ६८४ शीलाचार्य-६७५, ६७७ ६८४
शबर स्वामी-५४६ श्याम-३६४ श्याम शास्त्री-२६६, ४८६ शल प्रस्थ-८०२ शशांक-५०७, ५०८, ५१० शशिदत्त-३३८ शत्रु केसरी-४६८ शाकटायन-१५१, १६०, २११, २१२,
२१३, २१८, २४२, ५४०, ६७०,
६७१, ६७२ शाक्य-४१४, ४२० शांति कीर्ति-१३७ शांति देव-१५ शांतिनाथ-१५२, २४४, ३१६, ६०६, ६४८
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922 923 924 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934