Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur
________________
८२६ ]
[ जैन धर्म का मौलिक इतिहास-भाग ३
विजय महर्षि-३८३ विजयदान सूरी-११० विजयन्त-५२७, ५२८ विजय नरसिंह देव-३१३ विजय शिवमृगेशवर्म-२०६, २१०, २१९
२२०, २४३, २७६ विजयसिंह-७४३, ७८२, ७८३ विजयसेन-४४१,६६६ विजय श्री-४४२ विजया-४४१, ६७६, ६७७ विजयाचार्य-१६०, २११, २१३, २१४
५३६ विजयादित्य-१७०, १७१, १७६, २६७,
५४४, ६२६, ६६६ विजया महादेवी-२५६ विदग्धराज-६८७, ६८८, ७००, ७०२
७०३ विद्याचन्द्र-१३८ विद्यानन्दि-१३७ विद्याभूषण-१३६ विद्याधर-७२५ विद्याधर जोहरापुरकर-१४५, १४७ विन्द्याद्रि-२६१ विन्द्य सेन-२८१ विनयनन्दि-२२२ विनय मित्र-३८४ विनयरत्न-४४१ विनय विजय-३ विनय सेन-६१३, ६१४, ६१५, ६१६ विनयादित्य-१५, ३०२, ३०३, ३०४, ५४४ विनसेन्ट स्मिथ-४७६, ४८० विनायकपाल-७४३, ७४४ विभवादित्य-२६१ विमल-५७६ विमलगणि-६७५ विमलचन्द्र-७०१, ७१४
विमलमति-६७५, ६७७ विमल सूरी-६७७, ७४२ विमलसेन-१४२, २०२ विमलादित्य-१६, १८, १६, २० विलियम मोन्योर-२२२, २२४, २२५,
२३५ विवेकानन्द-२२२ विश्वचन्द्र-१३७ विश्वेश्वर-५५० विशाखमुनि-४, ५ विशालकीर्ति-१३६, १६५ विष्णु-३०५, ३०६, ३२१, ४७४, ४८०,
६०४ विष्णु कुमार-६७ विष्णु गुप्त-२५६ विष्णु गोप-२६४ विष्णु नन्दि-१३७ विष्णु परिहास केशव-६३६, ६३७ विष्णुरामा स्वामिन्-६३७ विष्णु वर्द्धन-३०६, ३०७, ३०८, ३०६,
३१०, ३११, ३१२, ३१३, ३१४, ३१५, ३१७, ३१८, ३१६, ३२१,
विष्णु वर्मन-२८२, २८३ विष्णु वर्मा-२८५ विशाखगणी-३८४ वीर-३६४, ५६६ वीर जयवराह-६४४, ६४८ वीर जस-४५८, ४५६ वीरदत्त-६७६, ६७७ वीर देव-२७० वीरनन्दि-१३७, १५१ वीरभद्र-३८२, ३८५, ३६८, ४०६, ४२३,
४४८, ६४१, ६४३ वीर सूरी-७८५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922 923 924 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934