Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 3
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 872
________________ ८१४ ] [ जैन धर्म का मौलिक इतिहास भाग-३ चिन्तामणी विनायक बैद्य-६४६ चेटक-३०६ चेलना-३०६ चेल्लकेतन-७३७ चेल्लध्वज-७३७ चन्न पार्श्वनाथ-३२४ चोलराज-२६६, २६०, ३०५, ३११ चक्रगोट्ट-३०५ चक्रेश्वरी देवी-५३५, ५३६ चक्रायुध-६५६ चट्टल-२६६, २७० चट्टियल रसि-२७१ चतुर्मुख-३०५, ७४२ चन्द्र-७२५ चन्द्रकीर्ति-१३८, १३६, १६६ चन्द्रगुप्त-१४८, २२३, २२४, २७८, २८१, ५८२ चन्द्रदेव-२४४, २८३ चन्द्र प्रमु-३५३, ३६५, ४३६ चन्द्रप्रभु सूरि-१०६, ११० चन्द्र सूरी-६७५ चन्द्रसेन-१४२, ६५४ चन्द्रषि-४२३ चन्द्रापीड़-६३३, ६३४, ६३५ चन्दिकन्वे-३१७ चरणाम्बुजात युगभंग-३१७ चाकीराज-१६, २६७, २६१, ६१८, ६२० चामगौड़-२४५ चामुण्ड राज-८०४ चामुण्डराय-१६२, १६३, १६४, १७६, १८१, १८२, २४६, २५७, २६८, २६६, २६७, ३०८, ३१६, ३२०, जइमारण-५२६ जक्कन्वे-२४४, २६५, ३२४ जक्कियब्बे-२४३, २६३, ७६२ जगचन्द्रसूरी-७३६ जगतकोर्ति-१३८ जगतुंग देव-६५४, ६५६ जगमाल-३८२, ५००, ५०१. ७०३ जज्जगसूरी-५३० जम्बू-४१, ६१२ जशोभद्र-३८२, ४४६, ४५०, ४५४, ४५७, जसवन्तजी ३८३ जसवद्धण क्षमाश्रमण-३६५ जयकीती-१६५, ३०५, ५३७ जयकेसी-२६७ जयद् अंककार-२७० जयन्त-४८६, ५२७, ५२८ जयनन्दि-१३७, ४०७, ४०८, ४०६ जयमल्ल-५२७ ज्येष्ठांग गणि-३, ४, ३८४, ७०७, ७०६, चांपा-५७६, ५७६ चारूकीति-१३८, १६५, १६६, १६७, १७३ ।। चारूनन्दि-१३८ चालुक्यराज-१६५, २८०, १६१, ३०४ ज्येष्ठ मूति-७०८, ७०६ जयशेखर-५७३ जयसिंह-२६५, ३०८, ४६६, ५४३, ६१६, ६२५, ६५१ जयसेन-२६७, ३८२, ३८३, ४५६, ४६०, ४६६, ५००, ५३८, ६५०, ७४५ जयवर्मा-२७३, २८६ चालुक्य विक्रम-२७. चाविमय्य-३२४ चिन्तामणी-३८३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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