Book Title: Jain Dharm Darshan Part 03 Author(s): Nirmala Jain Publisher: Adinath Jain Trust View full book textPage 7
________________ * शुद्ध सात्विक जैन भोजनशाला * किसी भी धर्म प्रेमी को प्रतिकूलता, बिमारी या अन्तराय के समय शुद्ध भोजन की चिंता न रहे इस उद्देश्य से बाहर गाँव व चेन्नई के स्वधर्मी भाईयों के लिए उत्तम, सात्विक व स्वास्थ वर्धक जिनआज्ञामय शुद्ध भोजन की व्यवस्था। * साधर्मिक स्वावलम्बी ___ * हमारे दैनिक जीवन में काम आने वाली शुद्ध सात्विक एवं जैन विधिवत् रुप से तैयार की गई वस्तुओं की एक जगह उपलब्धि कराना, साधर्मिक परिवारों द्वारा तैयार की गई वस्तुएँ खरीदकर उन्हें स्वावलंबी बनाना एवं स्वधर्मीयों को गृहउद्योग के लिए प्रेरित कर सहयोग करना इत्यादि। * जीवदया प्राणी प्रेम प्रकल्प योजना * मानव सेवा के साथ - साथ मूक जानवरों के प्रति प्रेम व अनुकम्पा का भाव मात्र जिनशासन सिखलाता है। जिनशासन के मूलाधार अहिंसा एवं प्रेम को कार्यान्वित करने निर्माण होंगे 500 कबुतर घर व उनके दानापानी सुरक्षा आदि की संपूर्ण व्यवस्था। मोहन जैन सचिव आदिनाथ जैन ट्रस्व * प्रस्तुत प्रकाशन के अर्थ सहयोगी * स्व. श्रीमती धूलीबाई भंवरलालजी नाहर ___ (गौतन, राज. निवासी) कि स्मृति में 0 स्व. श्रीमती भीखिबाई गुलाबचंदजी कोचर G 6 (फलोदी, राज., मैलापुर, चेन्नई) कि स्मृति में 6. Jain Education International meeteeeeeeeeeeeeeeee www.jainelibrary.org For Personal & Private Use OnlyPage Navigation
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