Book Title: Jain Darshan Vaigyanik Drushtie
Author(s): Nandighoshvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 128
________________ 4. 'तीर्थंकर' : जैन आहार-विज्ञान विशेषांक 'तीर्थकर' का 'जैन आहार विज्ञान विशेषांक' (मई-जून '89 ) मिला । साद्यन्त पढ़ा बड़ी प्रसन्नता हुई । ऐसे विशेषांक यदि भारत की प्रत्येक भाषा में प्रकाशित पत्रिकाएँ निकालें तो समाज में बहुत कुछ आहार-शुद्धि हो सकेगी । 'केन्द्रीय जैन आहार विज्ञान शोध-संस्था' की अविलम्ब स्थापना करने का, जो सुझाव आपने रखा है, वह सद्यः सफल हो ऐसी आशा रखता हूँ। मैं भी पिछले 10 सालों से ऐसी 'शोध-संस्था' की आवश्यकता महसूस करता हूँ । मैथी और कोतमीर, लहसुन और प्याज की जगह काम आते हैं, यह वैज्ञानिक तथ्य है । मैथी में 100 गुण हैं, उसके बारे में छोटी-सी पुस्तिका भी है । कुछ स्पष्टताएँ (श्वेताम्बर संप्रदाय के अनुसार ) - पृ. 20 पर बताया गया है कि छने हुए पानी की मर्यादा 48 मिनिट है ।अधन- जैसे गर्म किये गये जल की मर्यादा 24 घंटे तथा उससे कम गर्म किये गये की 12 घंटे की है।' यहाँ एक स्पष्टता करनी है । गुजरात में सामान्य रीति से गृहस्थ दिन में एक बार (सुबह) पानी छान लेते हैं, जो कच्चा / सचित होता है । पूर्ण गर्म किये हुए अचित / प्रासुक जल की मर्यादा आपने 24 घंटे बतायी है; किन्तु श्वेताम्बर परम्परा में प्रवचन सारोद्धार' ग्रन्थ में (द्वार136; गाथा - 881-882 ) बताया है कि तीन बार उबला हुआ प्रासुक जल ग्रीष्मकाल में पाँच प्रहर यानी 15 घंटे के बाद सचित हो जाता है ठीक उसी तरह वर्षाऋतु में तीन प्रहर (9 घंटे) के पश्चात् और शिशिर ऋतु-शीतकाल में 4 प्रहर (12 घंटे ) के पश्चात् सचित होता है । गाथा इस प्रकार है - जायइ सचित्तया से, गिम्हमि पहर पंचगस्सुवरि । चउपहरोवरि सिसिरे, वासासु पुणो तिपहरूवरि ॥882 ।। दूसरी बात: आपने पृ. 20 पर बताया है कि - "जिस दहीं में बूरा, मिश्री, खारक, द्राख आदि मीठी वस्तुएँ पड़ी हों उसकी मर्यादा 48 मिनिट की होती है । " यह विधान किसी ग्रन्थ के आधार पर है, या परंपरा के अनुसार है, इसे स्पष्ट कीजिये; क्योंकि ऐसी बात हमारे पढ़ने या सुनने में नहीं आयी है । ___तीसरी बात - आपने (पृ. 20 पर, बताया कि गर्म दूध में जामन देने पर दही की मर्यादा 24 घटे है; किन्तु श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार गर्म किये हुए दूध में जामन देने के बाद दो दिन

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