Book Title: Jain Darshan Author(s): Kshamasagar Publisher: Kshamasagar View full book textPage 8
________________ है । उसे तत्क्षण अर्थबोध हो सके ओर अध्ययन - चितन-मनन आसानी हो, इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए यह लघुतम प्रयास किया है 1 लगभग पाच- छह वर्ष तक निरन्तर चिन्तन-मनन ओर विचार-विमर्श के उपरान्त इस शब्द कोश को प्रस्तुत कर पाया हूँ। इन परिभाषाओ को जानने से यदि धर्म को समझने ओर अनुभव करने में आसानी हो तो इसे पूर्वाचार्यों की कृपा ओर उपकार मानिएगा, मै तो निमित्त मात्र हूँ। - मुनि क्षमासागरPage Navigation
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