Book Title: Jain Bharati Author(s): Shadilal Jain Publisher: Adishwar Jain View full book textPage 9
________________ कार्य किये । शिक्षा निदेशालय की सहायता से स्कूलो की पाठ्य पुस्तको से जिनमें अण्डा, मॉस मछली के प्रयोग का प्रचार था, वे सभी उल्लेख व स्थल हटा दिये गये। ला0 डिप्टीमल जी जिस भी कार्य को अपने हाथ मे लेते थे सफलता उनके कदम चूमती थी। आपने अध्यापको के मानसिक स्तर को ऊ चा करने के लिए अनेक गोष्ठियो और शिविरो का आयोजन भी किया। आपका जीवन सयमी है। दो दशको से आपने अन्नाहार का त्याग कर रखा है । आपका प्रत्येक क्षण जन सेवा मे बीता है। पापका आदर्श जीवन युवा पीढी का उचित मार्ग-दर्शन करता है । आप अदम्य उत्साही है, परन्तु भगवान महावीर के 2500 वे निर्वाणाब्द महोत्सव में, जिसकी दिल्ली प्रदेश समिति के आप उपप्रधान थे, अत्यधिक परिश्रम करने के कारण आप पक्षाघात का शिकार हुए । चलना फिरना अब आपके लिए कठिन हो गया है परन्तु आपके सद्विचार और मनोवल उन्नति पर है। आपके पद चिन्हो पर चलने वाले, आज्ञाकारी, समाजसेवी तथा कुशल व्यवसायी सुपुत्र श्री प्रादीश्वर लाल जैन बी. काम. (आनर्स), एम. ए. (अर्थशास्त्र), डिप्लोमा इन इकानामिक एडमिनिस्ट्रेशन, आपके स्वप्नो को साकार करने में कृत्सकल्प है। परम आदरणीय लाo डिप्टीमल जी जैन के निकट सम्पर्क में आने का सौभाग्य मुझे दो दशको से प्राप्त है। इन्ही की विशेष प्रेरणा से यह पुस्तक लिखी गई है ताकि थोडे शब्दो मे जनसाधारण को यह बतलाया जा सके कि भारतीय सस्कृति के पोषण मे जैनों' की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है। मैं इस शुभ कार्य की पूर्ति के लिये इनके मुख्य सहयोग का विशेष आभारी हूं। शादी लाल जैन प्रिंसिपलPage Navigation
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