Book Title: Jain Bhajan Sangraha Author(s): ZZZ Unknown Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 9
________________ नवकार मंत्र ही महामंत्र नवकार मंत्र ही महामंत्र, निज पद का ज्ञान कराता है। निज जपो शुद्ध मन बच तन से, मनवांछित फल का दाता है॥1॥ नवकार मंत्र ही महामंत्र... पहला पद श्री अरिहंताणां, यह आतम ज्योति जगाता है। यह समोसरण की रचना की भव्यों को याद दिलाता है।2।। नवकार मंत्र ही महामंत्र... दूजा पद श्री सद्धाणं है, यह आतम शक्ति बढ़ाता है। इससे मन होता है निर्मल, अनुभव का ज्ञान कराता है।।3।। नवकार मंत्र ही महामंत्र... तीजा पद श्री आयरियाणां, दीक्षा में भाव जगाता है। दुःख से छुटकारा शीघ्र मिले, जिनमत का ज्ञान बढ़ाता है।।4।। नवकार मंत्र ही महामंत्र... चौथा पद श्री उवज्ज्ञायणं, यह जैन धर्म चमकता है। कर्मास्त्रव को ढीला करता, यह सम्यक् ज्ञान कराता है।।5।। नवकार मंत्र ही महामंत्र... पंचमपद श्री सव्वसाहूणं, यह जैन तत्व सिखलाता है। दिलवाता है ऊंचा पद, संकट से शीघ्र बचाता है।।6।। नवकार मंत्र ही महामंत्र... तुम जपो भविक जन महामंत्र, अनुपम वैराग्य बढ़ाता है। नित श्रद्धामन से जपने से, मन को अतिशांत बनाता है।।7॥Page Navigation
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