Book Title: Jain Bhajan Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 45
________________ कर लेना त्याग भलाई भी तु कर लेना तु त्याग भलाई भी, मानव जीवन का काम है ये। ईश्वर ने जो हमको भेजा है, वो साथ दिया पैगाम है ये ॥ गफलत मे ना यु ही खो देना, रंगीन जवानी मे घडिया । क्षण भर भी न खाली जा पाये, आराम को मान हराम है ये || कर लेना तु || 1 धन दौलत महल अटारी ये, दुनिया मे तुझे फुसलाती है ये । इस सब से तु नफरत ही करना, कर्म बंधन का इंतजाम है ये। सयंम ओर त्याग अहिंसा से, जीवन मे की ही करना । इस जन्म को फिर न पायेगा, ईश्वर का अमुल्य इनाम है ये || कर लेना तु त्याग भलाई भी। 45

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