Book Title: Jain Bhajan Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 56
________________ मैं तेरी महर की नज़र चाहता हूं मैं तेरी महर की नज़र चाहता हूं, दुआओं में अपनी असर चाहता हुं, मैं तेरी महर की नज़र चाहता हूं, दुआओं में अपनी असर चाहता हूं, मैं तेरी महर... तमन्ना मचलके ये गाने लगी है, तेरी याद भगवन सताने लगी है, तुझे हाले-दिल की ख़बर चाहता हूं, दुआओं में अपनी असर चाहता हूं, मैं तेरी महर... तरसते है नैना ओ महावीर आओं, तुम्हारे है हम युं ना हमको सताओं, इबादत तेरी हर पहर चाहता हूं, दुआओं में अपनी असर चाहता हूं, मैं तेरी महर... मेरे दिल की सुनी महफिल सजादे, ___ तुझे कैसे पाउ ये तुही बतादे जो तुझसे मिला दे, सफर चाहता हूं दुआओं में अपनी असर चाहता हूं, मैं तेरी महर... तुझसे मिलन की प्यास जगी है, आओगे इक दिन ये आस लगी है, सबे-गम की अब मैं सहर चाहता हूं दुआओं में अपनी असर चाहता हुं, मैं तेरी महर... 56

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