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जैन भजन संग्रह
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परस्परोपग्रहो जीवानाम्
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विषय-सूची ( जय जिनेन्द्र )
1. महामंत्र- नवकार प्रार्थना
2. जिनवाणी स्तुति ..
3. मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा.
4. नमोकार मन्त्र है न्यारा ....
5. नवकार मंत्र ही महामंत्र.
6. अरिहंत जय जय सिद्ध प्रभु जय जय .............
7. तुमसे लागी लगन ले लो अपनी शरण ....
8. रूम झूम करता पधारो मारा भैरो जी.
9. दादा तेरा क्या फ़र्ज़ नहीं भक्तो के घर आने का.
10. पारस रे तेरी कठिन डगरिया
11. मधुबन के मंदिरो में भगवान बस रहा है.
12. चाहे कितना ही जोर लगा लेना
13. जीवन है पानी की बूँद ..
के.
15. जब से
14. बाबा कुण्डलपुर वाले की भक्ति करो झूम झूम गुरु दर्श मिला मनवा मेरा खिला खिला कुण्डलपर में बधाई ....
16. बजे
17. मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है (जैन भजन ).. 18.आज की इस दुनीयाँ मे कितना फैला है भ्रष्टाचार........ 19. सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी
20.तर्ज (बहारो फुल बरसावो -सुरज ). 21. आत्म नगरमे ज्ञान की गंगा .....
22 तर्ज (मुझको अपने गले - हमराही ).
23 तर्ज ( नगरी नगरी व्यारे व्दारे ).
24. सत्य व्रत का लहंगा पहिनो
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25.तर्ज (दो हंसो का जोडा बिछुड गयो रे-गंगा जमुना)....................... 26.बोल बोल आदेश्वर वाला पूरा दे.....................................................30 27.प्रभु पार्श्वनाथ, प्रभु भेरवनाथ क्षमापना मंत्र... 28.मेरा धाम (मोक्ष).......... 29.श्री पारस इक्तिसा.......... 30.मनवा ! मधुर गीत तु गाले...................
..........37 31.मेरी नैया पड़ी मझधार में .....
........38 32.जिया तुम अपने को पहिचानो ..
.....39 33.यहा झुठा है जंजा .................. 34.निश्चय और व्यवहार...........................
.....41 35.मै क्या करु, -संगम........... 36.धर्म का हुवा हाल बेहाल ................. 37.यह जग माया का बाजार................... 38.कर लेना तु त्याग भलाई भी............... 39.तुझे हम ढूंढ रहे है कहां है देहरे वाले .................. 40.एक दर पे भिखारी है... 41.बरसा पारस सुख बरसा आंगन -2 सुख बरसा ......... 42.तुझे पिता कहुं या माता तुझे मित्र कहुं या भ्राता................ 43.स्वागतम गुरूवर शरणागतम गुरूवर ........ 44.जय महावीरा बोल जरा बोल है ये अनमोल जरा ...............
.........54 45.मैं तेरी महर की नज़र चाहता हं............
.........56 46.तेरी याद में ओ भगवन हम तो हुए दिवाने ................. 47.तेरा ही नाम है लब पे तुझे ही गुन गुनाता हूं, ................. 48.मोक्ष के प्रेमी हमने कर्मो से लढते देखे 49.मधुबन के मंदिरो में भगवान बस रहा है................
.....60 50. भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना .................... 51.जीवन है पानी की बूंद कब मिट जाए रे ...................... 52.बाबा कुण्डलपुर वाले की भक्ति करो झूम झूम के.............................
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53. जब से गुरु दर्श मिला मनवा मेरा खिला खिला 54. बजे कुण्डलपर में बधाई..
55. मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है.......
56. सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी 57. जब कोई नहीं आता मेरे बाबा आते है
58. भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना.
59. तेरे चरणो मे आये भगवान आशा लेके आये है.
60. अरिहंत जय जय सिद्ध प्रभु जय जय .
61. जय जिनेन्द्र बोलिए......
62. देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई महावीर
63. ध्यान - ध्यान धरना है धरले...
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64. कभी वीर बन के, महावीर बन के ....
65. पारस प्यारा है.........
66. भावना एक मेरी प्रभु स्वीकार लेना.
67. नाम है तेरा तारण हारा.
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महामंत्र- नवकार प्रार्थना
नवकार मंत्र है महामंत्र,इस मंत्र की महिमा भारी है। आगम में कही, गुरुवर से सुनी, अनुभव में जिसे उतारी है ॥टेर।।
अरिहंताणं पद पहला है, अरि आरति दूर भगाता है।
सिद्धाणं सुमिरन करने से,मन इच्छित सिद्धि पाता है। आयरियाणं तो अष्ट सिद्धि और नव निधि के भंडारी हैं।।नव.॥1॥
उवज्झायाणं अज्ञान तिमिरहर, ज्ञान प्रकाश फैलाता है।
सव्वसाहूणं सब सुखदाता, तन मन को स्वस्थ बनाता है। पद पाँच के सुमरिन करने से, मिट जाती सकल बीमारी है ॥नव.॥2॥
श्रीपाल सुदर्शन मेणरया, जिसने भी जपा आनंद पाया। जीवन के सूने पतझड़ में, फिर फूल खिले सौरभ छाया। मन नंदन वन में रमण करे, यह ऐसा मंगलकारी है।।नव.॥3॥
नित नई बधाई सुने कान, लक्ष्मी वरमाला पहनाती। 'अशोक मुनि' जयविजय मिले, शांति प्रसन्नता बढ़ जाती। सम्मान मिले, सत्कार मिले, भव-जल से नैया तारी है ॥नव.॥4।।
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जिनवाणी स्तुति
मिथ्यातम नाश वे को, ज्ञान के प्रकाश वे को,
आपा पर भास वे को, भानु सीबखानी है। छहों द्रव्य जान वे को, बन्ध विधि मान वे को,
स्व-पर पिछान वे को, परम प्रमानी है।। अनुभव बताए वे को, जीव के जताए वे को, काहूं न सताय वे को, भव्य उर आनी है।। जहां तहां तार वे को. पार के उतार वे को. सुख विस्तार वे को यही जिनवाणी है। जिनवाणी के ज्ञान से सूझेलोकालोक, सो वाणी मस्तक धरों, सदा देत हूं धोक।। है जिनवाणी भारती, तोहि जपूँ दिन चैन, जो तेरी शरण गहैं, सो पावे सुखचैन।
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मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा
मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा यह हो वो जहाज जिसने लाखों को तार
णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं
अरिहंतों को नमन हमारा, अशुभ धर्म अरि हनन करें सिद्धों के सुमिरन से आत्मा सिद्ध क्षेत्र को गमन करे
भव भव में ना हो जनम दोबारा, मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा...
आचार्यों के आचारों से निर्मल निज आचार करें उपाधयाय को ध्यान धरें हम संवारता सत्कार करें
सर्व साधू को नमन हमारा, मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा...
णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्व साहूणं सोते उठते, चलते फिरते इसी मंत्र का जाप करे ताप हमारे तो उनका भी छेदअपने आप करें
इसी मंत्र का लेलो सहारा, मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा...
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नमोकार मन्त्र है न्यारा
नमोकार मन्त्र है न्यारा,
इसने लाखो को तारा इस महा मात्र का जाप करो, भव जल से मिले किनारा
णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्व साहूणं एसोपंचणमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो मंगला णं च सव्वेसिं, पडमम हवई मंगलं
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नवकार मंत्र ही महामंत्र नवकार मंत्र ही महामंत्र, निज पद का ज्ञान कराता है। निज जपो शुद्ध मन बच तन से, मनवांछित फल का दाता है॥1॥
नवकार मंत्र ही महामंत्र...
पहला पद श्री अरिहंताणां, यह आतम ज्योति जगाता है। यह समोसरण की रचना की भव्यों को याद दिलाता है।2।।
नवकार मंत्र ही महामंत्र...
दूजा पद श्री सद्धाणं है, यह आतम शक्ति बढ़ाता है। इससे मन होता है निर्मल, अनुभव का ज्ञान कराता है।।3।।
नवकार मंत्र ही महामंत्र...
तीजा पद श्री आयरियाणां, दीक्षा में भाव जगाता है। दुःख से छुटकारा शीघ्र मिले, जिनमत का ज्ञान बढ़ाता है।।4।।
नवकार मंत्र ही महामंत्र...
चौथा पद श्री उवज्ज्ञायणं, यह जैन धर्म चमकता है। कर्मास्त्रव को ढीला करता, यह सम्यक् ज्ञान कराता है।।5।।
नवकार मंत्र ही महामंत्र...
पंचमपद श्री सव्वसाहूणं, यह जैन तत्व सिखलाता है। दिलवाता है ऊंचा पद, संकट से शीघ्र बचाता है।।6।।
नवकार मंत्र ही महामंत्र...
तुम जपो भविक जन महामंत्र, अनुपम वैराग्य बढ़ाता है। नित श्रद्धामन से जपने से, मन को अतिशांत बनाता है।।7॥
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नवकार मंत्र ही महामंत्र...
संपूर्ण रोग को शीघ्र हरे, जो मंत्र रुचि से ध्याता है। जो भव्य सीख नित ग्रहण करे, वो जामन मरण मिटाता है।।8।
नवकार मंत्र ही महामंत्र...
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अरिहंत जय जय सिद्ध प्रभु जय जय
अरिहंत जय जय सिद्ध प्रभु जय जय । साधू जीवन जय जय जैन धर्म जय जय ॥
अरिहंत मंगल सिद्ध प्रभु मंगल । साधू जीवन मंगल, जैन धर्म मंगल ॥
अरिहंत उत्तम सिद्ध प्रभु उत्तम । साधू जीवन उत्तम, जैन धर्म उत्तम ॥
अरिहंत शरणम सिद्ध प्रभु शरणम । साधू जीवन शरणम, जैन धर्म शरणम ॥
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तुमसे लागी लगन ले लो अपनी शरण
तुम से लागी लगन, ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा,
मेटो मेटो जी संकट हमारा । निशदिन तुमको जपूँ, पर से नेह तनँ, जीवन सारा,
तेरे चाणों में बीत हमारा ॥टेक॥
अश्वसेन के राजदुलारे, वामा देवी के सुत प्राण प्यारे। सबसे नेह तोड़ा, जग से मुँह को मोड़ा, संयम धारा ॥मेटो।।
इंद्र और धरणेन्द्र भी आए, देवी पद्मावती मंगल गाए। आशा पूरो सदा, दुःख नहीं पावे कदा, सेवक थारा ॥मेटो।
जग के दुःख की तो परवाह नहीं है, स्वर्ग सुख की भी चाह नहीं है।
मेटो जामन मरण, होवे ऐसा यतन, पारस प्यारा ॥मेटो।
लाखों बार तुम्हें शीश नवाऊँ, जग के नाथ तुम्हें कैसे पाऊँ । 'पंकज' व्याकुल भया दर्शन बिन ये जिया लागे खारा ॥मेटो।।
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रूम झूम करता पधारो मारा भैरो जी
रूम झूम करता पधारो मारा भैरो जी थोरा बालुडा जोवे है थोरी बाट, पधारो मारा भैरो जी
मेवानगर दादा आप बिराजो, थोरी महिमा अपरमपार, पधारो मारा भैरो जी...
हाथ में त्रिशूल थोरे खप्पर शोभे थोड़ा डम डम डमरू आवाज, पधारो मारा भैरो जी...
मेवा मिठाई थोरे तेल चढ़े है, ते तो भक्तो री पूरो सब आस, पधारो मारा भैरो जी...
मारवाड़ ध्यावे थाने गोडवाड़ ध्यावे थाट ध्यावे है आखो मेवाड़, पधारो मारा भैरो जी...
नाकोड़ा दरबार दादा थोरे चरने आयो हो दादा माथा ऊपर राखजो हाथ, पधारो मारा भैरो जी...
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दादा तेरा क्या फ़र्ज़ नहीं भक्तो के घर आने का
नाकोड़ा वाले सुन लेना एक सवाल दीवाने का, अगर समझ में आ जाए, तो भक्तो को समझा देना । हमने अपना नियम निभाया, नाकोड़ा पैदल आने का, दादा तेरा क्या फ़र्ज़ नहीं भक्तो के घर आने का ॥
जिसका घर छोटा सा हो, क्या उसके घर नहीं आते, या फिर मुझसे प्रेम नहीं, क्यों मेरे घर नहीं आते। अब इतना बतलादो दादा कैसे तुझे मनाने का, दादा तेरा क्या फ़र्ज़ नहीं भक्तो के घर आने का ॥
ऐसा रास्ता ढूंढ़ लिया रोज मिले तो चैन आए, इक दिन मिलने तुम आयो, इक दिन मिलने हम आए । अब तो पक्का सोच लिया घर नाकोड़ा में बनाने का, दादा तेरा क्या फ़र्ज़ नहीं भक्तो के घर आने का ॥
जिसका जिसका घर देखा वो क्या तेरे लगते हैं, रिश्तेदारी में दादा वो क्या हमसे बढ़के हैं ।
क्या मेरा हक्क नहीं बनता है तुझको घर पे बुलाने का, दादा तेरा क्या फ़र्ज़ नहीं भक्तो के घर आने का ॥
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पारस रे तेरी कठिन डगरिया
पारस रे तेरी कठिन डगरिया किस विधि मैं तोहे पाऊँ रे साँवरिया
कठिन तेरा जिन रूप में आना कठिन तेरे शुभ दर्शन पाना
कठिन हटाना श्री मुख से नजरिया
पारस रे तेरी कठिन डगरिया
सयम नियम कठिन व्रत तेरे, तेरी तरह सुन भगवन मेरे
ओढ़ना कठिन ब्रह्मचर्य की चदरिया पारस रे तेरी कठिन डगरिया
कठिन महल तज वन में जाना कठिन रात दिन ध्यान लगाना
टप अति कठिन, कठिन मुनिचर्या रे जिनवर तेरी कठिन डगरिया
कठिन तुझे आहार कारण अंतराय से कठिन बचाना कठिन जिमाना बिन प्याली बिन थरिया
पारस रे तेरी कठिन डगरिया
कठिन प्रहार कमठ के सह के कठिन उपसर्ग में अवचिल रह के
पायी कठिन केवल की उजरिया पारस रे तेरी कठिन डगरिया
मोक्ष जहां से गया तू जिनराई उस पर्वत की कठिन चढ़ाई
तुही ले चल मेरी थाम के उँगरिया
पारस रे तेरी कठिन डगरिया
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मधुबन के मंदिरो में भगवान बस रहा है
मधुबन के मंदिरो में भगवान बस रहा है। पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है।
आध्यात्म का यह सोना पारस ने खुद दिया है, ऋषिओं ने इस धरा से निर्वाण पद लिया है। सदिओं से इस शिखर का स्वर्णिम सुयश रहा है, पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ॥
मधुबन के मंदिरों में...
तीर्थंकरों के तप से पर्वत हुआ यह पावन,
केवल्य रश्मिओं का बरसा यहां सावन । उस ज्ञानामृत के जल से पर्वत सरस रहा है, पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ।
मधुबन के मंदिरों में...
पर्वत के गर्भ में है रत्नो का है वो खजाना, जब तक है चंन्द सूरज होगा नहीं पुराना । जन्मा है जैन कुल में तू क्यों तरस रहा है, पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है।
मधुबन के मंदिरों में...
नागो को भी यह पारस राजेन्द्र सम बनाए, उपसरग के समय जो धेन्द्र बन के आए।
पारस के सर पे देवी पद्मावती यहाँ है, पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ।
मधुबन के मंदिरों में...
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चाहे कितना ही जोर लगा लेना
चाहे कितना ही जोर लगा लेना, फिर भी न चलेगा जोर तेरा चाहे कितना ही उसको मना लेना, फिर भी न सुनेगा कुछ भी तेरा चाहे कितना ही जोर लगा लेना, फिर भी न चलेगा जोर तेरा
१ जब उसका बुलावा आएगा, तब न चलेगा बहाना तेरा -2
पल में ही २ सब कुछ छोड़ तुझे ,होना पड़ेगा रवाना रे । चाहे कितना ही जोर लगा लेना, फिर भी न चलेगा जोर तेरा
२ हम सब तो कठपुतलियाँ है, डोर हमारी उसके हाथो में -२ जिस दिन वो २ उसको छोड़ देगा, नहीं होगा कभी फिर उठना रे चाहे कितना ही जोर लगा लेना, फिर भी न चलेगा जोर तेरा।
३ सबको बराबर दी हे देखो, उसने यहाँ पर श्वासे रे -२ जिसकी भी २ हो जाएगी श्वासे पूरी, नहीं होगा सवेरा उनका रे
चाहे कितना ही जोर लगा लेना, फिर भी न चलेगा जोर तेरा चाहे कितना ही उसको मना लेना, फिर भी न सुनेगा कुछ भी तेरा ।
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जीवन है पानी की बूंद
जीवन है पानी की बूंद कब मिट जाए रे होनी अनहोनी कब क्या घाट जाए रे
जितना भी कर जाओगे, उतना ही फल पाओगे करनी जो कर जाओगे, वैसा ही फल पाओगे नीम के तरु में नहीं आम दिखाए रे
जीवन है पानी की बूंद...
चाँद दिनों का जीवन है, इसमें देखो सुख काम है जनम सभी को मालूम है, लेकिन मृत्यु से ग़ाफ़िल है
जाने कब तन से पंक्षी उड़ जाए रे
जीवन है पा
किस को मने अपना है, अपना भी तो सपना है जिसके लिए माया जोड़ी क्या वो तेरा अपना है
तेरा हो बेटा तुझे आग लगाए रे
जीवन है पानी की बूंद...
गुरु जिस को छू लेते हैं वो कुंदन बन जाता है तब तक सुलगता दावानल, वो सावन बन जाता है आतंक का लोहा अब पारस कर ले रे
जीवन है पानी की बूंद...
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बाबा कुण्डलपुर वाले की भक्ति करो झूम झूम के
बाबा कुण्डलपुर वाले की भक्ति करो झूम झूम के
झूम झूम के, घूम घूम के,
घूम घूम के, झम झम के विद्यासागर छोटे बाबा की भक्ति करो झूम झूम के
बाबा कुण्डलपुर वाले की... कुण्डलपुर की सुन्दर पहड़िया पहड़िया पे है सुन्दर अटरिया
झूम झूम के, घूम घूम के, जहा विराजे बड़े बाबा, भक्ति करो झूम झूम के
बाबा कुण्डलपुर वाले की...
नए मंदिर में हुआ रे कमाल है बड़े बाबा की मूरत विशाल है
झूम झूम के, घूम घूम के, मंदिर विराजे बड़े बाबा की भक्ति करो झूम झूम के
बाबा कुण्डलपुर वाले की... विद्यासागर जी का यह सपना सपना देखो हो गया अपना
झूम झूम के घूम घूम के से उठ गए बाबा, भक्ति करो झूम झूम के
बाबा कुण्डलपुर वाले की....
बाज रहे मृदिंग मजीरा सारे जग की हर ली है पीड़ा
झूम झूम के, घूम घूम के बिगड़ी बना दे बड़े बाबा की भक्ति करो झूम झूम के
बाबा कुण्डलपुर वाले की...
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जब से गुरु दर्श मिला मनवा मेरा खिला खिला
पूछो मेरे दिल से यह पैगाम लिखता हूँ, गुजरी बाते तमाम लिखता हूँ दीवानी हो जाती वो कलम, हे गुरुवार जिस कलम से तेरा नाम लिखता हूँ
जब से गुरु दर्श मिला, मनवा मेरा खिला खिला
मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे मेरी तो पतंग उड़ गयी रे
फांसले मिटा दो आज सारे, होगये गुरूजी हम तुम्हारे
मनका का पंछी बोल रहा, संग संग डोल रहा मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे, मेरी तो पतंग उड़ गयी रे
आज यह हवाएँ क्यों महकती, आज यह घटाएं क्यों चहकती
अंग अंग में उमंग, बड़ रही है संग संग मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे, मेरी तो पतंग उड़ गयी रे
तुम्ही ही समय सार मेरे, तुम्ही हो नियम सार मेरे
खिल रही है कलि कलि, महक रही गली गली मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे, मेरी तो पतंग उड़ गयी रे
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बजे कुण्डलपर में बधाई
बजे कुण्डलपर में बधाई, के नगरी में वीर जन्मे, महावीर जी
जागे भाग हैं त्रिशला माँ के, के त्रिभवन के नाथ जन्मे, महावीर जी
हो... शुभ घडी जनम की आई, सवरग से देव आये, महावीर जी
तेरा नवन करें मेरु पर के, इंद्र जल भर लाए, महावीर जी
हो.. तुझे देवीआं झुलाये पलना, मन में मगन हो के, महावीर जी
तेरे पलने में हीरे मोती, के. गोरिओं में लाल लटके, महावीर जी
हो... अब ज्योति तेरी जागी के सूर्य चाँद छिप जाए, महावीर जी
तेरे पिता लुटावें मोहरें खजाने सारे खुल जाएंगे, महावीर जी
हो... हम दरश को तेरे आए के पाप सब काट जाएंगे, महावीर जी
बजे कुण्डलपर में बधाई,
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मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है (जैन भजन)
मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है करते हो तुम गुरुवार, मेरा नाम हो रहा है
पटवार के बिना ही मेरी नाव चल रही है बिन मांगे मेरे गुरुवार हर चीज मिल रही है हर वार दुश्मनो का नाकाम हो रहा है
मेरा आपकी कृपा से...
मेरी जिंदगी में तुम हो, किस बात की कमी है मुझे और अब किसी की परवाह भी नहीं है तेरी बदौलतों से सब काम हो रहा है
मेरा आपकी कृपा से...
दुनिया में होंगे लाखों, तेरे जैसा कौन होगा तुझ जैसा बंदापरवर भला ऐसा कौन होगा तेरे नाम का ही सुमिरन, आराम दे रहा है
मेरा आपकी कृपा से...
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आज की इस दुनीयाँ मे कितना फैला है भ्रष्टाचार
आज की इस दुनीयाँ मे कितना फैला है भ्रष्टाचार
ये केसा कलयुग आया है मानव ही मानव पर देखो कर रहा प्रहार
ये केसा कलयुग आया है आज की इस दुनिया मे ---
1 जिन मात पिता ने पाला पोषा, भुल गये है आज उन्हिको
उनके ऐहसानो के बदले, मार रहे है धक्के उनको उन्हिके घर से उनको ही, कर रहे बेघर, ये केसा कलयुग ----
आज की इस दुनीयाँ मे ---
२ जो भाई कभी न झगड़ ते थे, झगड़ रहे है आज वो कितने
जमीन जायदाद के खातिर देखो, लड़ रहे है आज वो कितने भुला दीया है आज उन्होनो बचपन का सब प्यार, ये केसा कलयुग ----
आज की इस दुनीयाँ मे ------------
३ मोह माँया मे हो गये अन्धे, लगने लगे अपने भी पराये
कोन है भाई कोन बहन है, भान रहा ना अब कीसी को अपनो से ही कर रहे हे, बे ढंगा व्यवहार, ये केसा कलयुग ----
आज की इस दुनीयाँ मे कीतना फैला है भ्रष्टाचार
ये केसा कलजुग आया है, मानव ही मानव पर देखो कर रहा प्रहार
ये केसा कलजुग आया है
(तर्ज - देख तेरे संसार की हालत ------ )
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सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं, सामान सो बरस का है, पल की खबर नहीं।
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
छोटो सा तू, कितने बड़े अरमान तेरे, मिट्टी का तु, सोने के सब सामन हैं तेरे। मिट्टी की काया मिट्टी में जिस दिन समाएगी, ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
पर तोल ले, पंची तू पिंजरा तोड़ के उड़ जा, माया महल के सारे बंधन छोड़ के उड़ जा। धड़कन में जिसदिन मौत तेरी गुनगुनायेगी, ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
काहे करे नादान तू दुनिया में नादानी, काया तेरी यह राजसी है राख हो जानी।
'राजेंदर' तेरी आत्मा विदेह जायेगी, ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।।
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तर्ज (बहारो फुल बरसावो-सुरज) तेरे चरणो मे आये. भगवान आशा लेके आये है। सुधर जाये प्रभु जीवन ,ये इच्छा लेके आये है ।
न आवे भाव हिंसा का वचन हितकर सदा बोले । शील संतोष मय जीवन की वांछा लेके आये है ।तेरे चरणो मे।।1
सभी से प्रेम हो ,हमको नही व्देष द्रुष्टो से। भाव दुऽखियो पे हम अपना दया को लेके आये है ।तेरे चरणो मे ॥2
काम और क्रोध की अग्नि हमारी शांत हो भगवन । लोभ ,मद मोह मर्दन की सुचिता लेके आये है ॥तेरे चरणो मे ॥3
रहे नित भाव समताका ,न ममता हो हमे तन से । सफल शिवराम हो ,कामना लेके आये है ॥तेरे चरणो मे॥4
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आत्म नगरमे ज्ञान की गंगा
जिससे अमृत बरसा। सम्यकद्रुष्टी भर भर पीवे,मिथ्याद्रुष्टी प्यासा ॥ सम्यकदृष्टी समता जल मे, नित ही गोते खाता है।
मिथ्याद्रुष्टी राग व्देषकी ,आग मे झुलसा जाता है। समता जल का सींचन करके हे सुख शांति पा जाता ॥आत्म नगर मे।।1
पुण्य भावको धर्म मान करके ,संसार बढाता। राग बंधकी गुत्थीको वह,कभी न कभी न सुलझा पाता। जो शुभ फलमे तन्मय होता,वह भी निगोद मे जाता|आत्म नगर मे॥2
पर मे अहंकार तु करता ,परका स्वामी बनता।
इसलिये संसार बढाकर,भवसागरमे रुलता। एक बार निज आत्मरसका पान करो हे ज्ञाता ॥आत्म नगर मे॥3
मनुष्य भव दुर्लभ है, पाकर आत्म ज्योत जगाले ।
ज्ञान उजाले मे आ करके ,अपनी निधी उठाले । तु है शुध्द निरंजन चेतन शिवपुरका वासी है।आत्म नगर मे ॥
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तर्ज (मुझको अपने गले-हमराही)
__ आये यहा तो कुछ कर जाओ,सुनलो मेरे भाई। खुद को किसी से कम नही समझो,नरतन का यह सार है ॥आये यहा॥
खुद ही खुदा तु खुद ही जिन है खुद ही क्रुष्ण राम है।
बनजाये तेरी आत्मा ,परमात्माका धाम है। नही असंभव कार्य यहा पर,यह तो सुलभ संसार है।आये यहा तो।।
दीनों से तु प्यार है करले,दीनानाथ ही बनजाये।
ऊंच नीच का भेद छोडदे,समदर्शी तु कहलाये। कौन धनी यहा कौन गरीब है,तजदे कुविचार है||आये यहा तो। __ आया अकेला है जग मे और अकेला जायेगा।
काहे किसी से व्देष करे तु यहा से कुछ पायेगा नही। गर चाहे तेरा नाम रहे यहा,धरले सदाचार है।आया यहा तो कुछ कर जाओ।
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तर्ज (नगरी नगरी व्यारे व्दारे) छोटी मोटी बहिनों पहरो शीलकी चुनरिया।
प्यारी प्यारी चुनरियासे रिझेगे सावरिया ॥ शीश फुल टिका हो किलपे बडोके आदर मानका ।
शास्त्र श्रमण साहित्य गीतका ,ऐरिँग होवे कान का। समता रखना दु;खमे न बरसाना रे बदरिया ॥छोटी मोटी॥1 पतिव्रत पन की बिंदिया सोहे,लज्जा काजल आँखमे।
घर समाज की रीती नितीका,सुदर लागे हो नाक मे। पानकी लाली मिठी बोली,बोलो बन कोयलिया।छोटी मोटी।।2
चतुराईजी चेली पोलका,नेकलेस होवे ज्ञानका। अच्छे स्वास्थ का भुजबंद पहिनो,घडी चुडियाँ दानकी। बुरी नजरसे कभी न देखो ,निचे रखो नजरिया।।छोटी मोटी॥4
सत्य व्रत का लहंगा पहिनो
ओढनी शुभकर्मकी। भक्तरंगका माहुर मेहदी,बिछीया अहिंसा धर्म की। अच्छी चाल की पग मे पहनो ,झनक झनक पायलिया ॥छोटी मोटी॥4
यह चुनरी सुभद्रा ओढी राजमती सिता सतीने। ओढी चंदना,ओढी अंजना,कलावती,मैनावतीने।
केवल मुनि यश चम चम चमके,ओढी रे सुंदरीया॥ छोटी मोटी बहिनों पहरी शीलकी चुनरिया,प्यारी प्यारी चुनरियोसे।।5
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तर्ज (दो हंसो का जोडा बिछुड गयो रे-गंगा जमुना)
काया से चेतन निकल गयो रे,पडी रही काया
भसम भई रे॥ या काया को खुब खिलाई,तरह तरह का भोजन खिलाया।
आखिर तो मल ही उगल रही रे । पडी रही काया भसम भई रे।काया से॥1 या काया को खुब सजाई ,वस्त्र आभुषण से मढाई ।
__ आखिर तो मिट्टी मे मिल गई रे ।
पडी रही काया भसम भई रे।।काया से॥2 टेबल कुर्ची पलंग बिछाई,नरम गद्दी चादर ओढाई ।
आखिर अर्थी पर धर दई रे। पडी रही काया भसम भई रे।काया से॥3 या काया को संग संग साथी ,चेतन का कोई नही साथी।
हंस अकेलो उड गयो रे। पडी रही काया भसम भई रे॥काया से ॥4 या काया को सब जग रोता,चेतन की सुधि नही लेता।
कौन गती मे भटक रहो रे।
पडी रही काया भसम भई रे।काया से ॥5 जब तक श्वासा तब तक आशा , निकली श्वासा हो वनवासा ।
श्वास श्वास मे भजन करो रे। पडी रही काया भसम भई रे ॥काया से चेतन निकल गयो रे ,पडी रही काया भसम भई रे॥6
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बोल-बोल आदेश्वर वाला पूरा दे बोल-बोल आदेश्वर वाला कांई थोरी मरजी रे। म्हा स्यूं मुंडे बोल २ बोल बोल म्हारा ऋषभ
केसरीया कांई थारी मरजी रे दौ स्यूं... माता मोरा देवी वाट जोवंता इतने बधाई आई रे आज ऋषभ जी उतरया बाग में सुण हरसाई रे
म्हा स्यूं... ॥ १॥ नहाय धोयने गज असवारी करी मोरा देवी
माता रे जाय बाग में नन्दण निरखी पाई साता रे म्हा स्य मुंडे बोल, बोल २ ... ॥ २॥ राज छोडने निकल्यो रे रिखबो आ लीला
अद्भती रे चमेर, छत्र और सिंहासन ___ मोहनी मूर्ती रे म्हा स्यूं मुंडे बोल, २ ॥ ३॥ दिन भर बैठी वाट जोवंता कद मारों रिखबो आसी रे कहती भरतने आदीनाथजी री खवरयां लयावो रे मास्यूं कीसे देश में गंयो रे बालेसर तुज बिना वनिता सूनि रे बात कहो दिल खोले लालजी क्यूं वणीया मुनी रे
म्हा स्यूं मुंडे बोल ॥ ४॥ रया मजे में हुई सुखसाता खूब किया दिल चाया रे अब तो बोल आदेश्वर म्हा स्यूं कलपे काया रे
___ म्हा स्यूं मुंडे... ॥ ५॥ खेर हुई सो हो गई बाला बात भली नहि कीरे गयां पिछे कागद नहीं दिन्यों म्हारी खबरया ना लिनी रे
___ मां स्यूं मुंडे ।। ६॥ ओलमा मैं देऊं कठे लग पाछो क्यूं नहीं बोले रे दुःख जननी को देख आदेश्वर हिवडो डोल रे
म्हा स्यूं मुंडे ॥ ७॥ अनित्य भावना भाई ये माता निज आतम ने त्यारी रे केवली पापी मोक्ष सिधाया ज्याने वन्दना हमारी रे
म्हा स्यूं मुंडे ॥ ८॥
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मुक्ति का दरवाजा खोल्या मोरा देवी माता रे काल असंख्या रह्या उघाडया जम्बू जड गया ताला रे
म्हा स्यूं मुंडे।। ९॥ साल बहोत्तर तीर्थ ओसोया, घेवर प्रभु गुण गाया रे मनोहर मूर्ति प्रथम जीणदे जी की अणमू पाया रै -
महा स्यूं मुंडे बोल, बोल २ आदेश्वर वाला कोई थारी मरजी रे, म्हा स्यूं, मुंडे बोल ॥ १०।।
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प्रभु पार्श्वनाथ, प्रभु भेरवनाथ क्षमापना मंत्र
है प्रभु पार्श्वनाथ, है प्रभु भेरवनाथ, मेरे से रात दिन हज़ारो अपराध होते रहते है.
मैं आपका दास हुं यह समझकर कृपा पूर्वक क्षमा करो | मैं आपका आवाहन करना नहीं जानता विसर्जन करना नहीं जानता तथा पूजा
करने का ढंग नहीं जानता, है प्रभु मुझे क्षमा करो मंत्रहिन क्रियाहीन तथा भक्तिहिन् जो पूजन किया है. वह आपकी कृपा से पूर्ण हो |
है प्रभु मैं अज्ञानी हु, अपराधी हु, मैं आपकी शरण मैं अगया हु,
इसलिए दया का पात्र आगे जो आपको उचित लगे वैसा करे भूल से, अज्ञान से, बुधिभांत होने का कारन कुछ न्यूनता या अधिकता हो गयी
हो तो क्षमा करो और जल्दी प्रसन्न हो आपतो गोपनीय से गोपनीय वास्तु की रक्षा करने वाले हो, मेरे निवेदन किये गए इस पाठ को स्वीकार करो, आपकी कृपा से मेरी मनोकामना पूर्ण हो |
(सीधी प्राप्त हो) ॐ ह्रीं श्रीं भैरवदेव पूजिताय, श्री नाकोडा पार्श्वनाथाय नमः
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मेरा धाम (मोक्ष)
शुध्दातम है मेरा नाम, मात्र जानना मेरा काम । मुक्ति है मेरा ध मिलता जहाँ पुर्ण विश्राम जहाँ भुख का नाम नही है, जहाँ प्यास का काम नही है। खाँसी और जुखाम नही है। आधि व्याधि का नाम नही है |
सत शिव सुंदर मेरा धाम, शुध्दातम है मेरा नाम।
मात्र जानना मेरा काम ॥ 1
स्वपर-भेद विज्ञान करेगे,
निज आतम का ध्यान धरेगे । राग - व्देष का त्याग करेगे, चिदानंद रस पान करेगे ||
सब सुखदाता मेरा धाम, शुध्दातम है मेरा नाम ।
मात्र जानना मेरा काम ॥2 जय जिनेन्द्र
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श्री पारस इक्तिसा
पारस प्रभु के चरणों मैं, निशदिन करू प्रणाम | मन वंचित पुरो प्रभु, श्याम वर्ण सुखधाम || १ || चरण-शरण मैं भक्त तुम्हारा, शरणागत हु मैं दुखियारा | भव- सागर से हमें उबारो, अपने यश की बात विचारो || २ ||
तुम जन जन के बने सहारे, हम तो सारे जग से हारे| हारा तुमको हार चढ़ावे, तो जग मैं कैसे यश पावे || 3 ||
जीवन के हर बंधन खोलो, मत मेरे पापो को तोलो | पूजा की कुछ रीत न जाने, आये मन की पीर सुनाने || ४ ||
तुमने अनगनित पापी तारे, मैं भी आया द्वार तुम्हारे | मुझको केवल आस तुम्हारी, अपना लो है भाव- भयहारी || ५ ||
सकल धरा को स्वर्ग बनाया, व्यंतर को संकित दरसाया | लेकर नर-अवतार धरा पर, पाप मिटाया ज्ञान जगाकर || ६ || पोष वादी दशमी तिथि पाकर, नभ से उतरी किरण धरा पर | धर्मपुरी काशी मैं जन्मे, शंकर रमे, जहा कण कण मैं || ७ ||
बडभागी वह वामा माता, जिसने जन्मा तुमसा जाता | अश्वसेन के पूत कहाये, फिर भी जगतपिता पद पाये || ८ || कमठ तपस्वी अति अभिमानी, प्रभु तुम सकल तत्व के ज्ञानी | आग जली संग जली तपस्या, धर्म बन गया स्वयं समस्या || ९ ||
काष्ट चिराय, नाग दिखाया, आंसू से अभिषेक कराया | महामंत्र नवकार सुनाकर, स्वर्ग दिलाया पुण्य जगाकर || धन्य धन्य वे प्राणी जलचर, मंत्र सुनाते जिन्हें जिनेश्वर | महामंत्र की महिमा भारी, पारस प्रभु वर्तो जयकारी || राज महल के राग- रंग मैं, रहकर भी थे नहीं संग मैं | नेमिनाथ की करुना जानी, जग की समझी पीर पुराणी ||
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राग मिटा वैराग जगाया, मुक्तिपंथ पर चरण बढ़ाया | भले- बुरे का भाव न रखते, प्रभुवर तो समता मैं रमते ||
लगे बरसने ओले सीर पर, वर्षा होती रही निरंतर | आंधी ने गिरी शिखर गिराये, पारस प्रभु को कौन डिगाए ||
सुरनर नरपति मुनिजन देवा, करते प्रभु चरणों की सेवा प्रभु अनंता, प्रभु कथा अनंता कह न सके सुर नरवर सन्ता || पद्मावती सेविका माता, जिसकी महिमा त्रिभुवन गाता | जिसमे प्रभु को सीर पर धारा, रहा भूमंडल सारा ||
माँ की मूरत मंगलकारी, पुरे मनोकामना सारी | चरण कमल मैं शीश नमाऊ, अपनी बिगड़ी बात बनाऊ ||
फणधर ने फन- छत्र बनाया, श्री धर्मेंद्र देव हर्षाया | है चिंतामणि ! चिंता चुरो, विघ्न हरो हर इच्छा पुरो || शंकर जैसे हर कंकर मैं, पारस वैसे हर पत्थर मैं |
धाम तुम्हारे बने हज़ारो, पुर्शदानी हमें उबारो || शंकेश्वर हो या नागेश्वर, नाकोडा या शिखर गिरिवर | तेरे चमत्कार घर-घर मैं, महिमा व्यापी नगर नगर मैं || मुक्त हुए सम्मेत शिखर से, रक्षक जहा भोमिय सरसे | पहले उनको शीष नामाओ, अपनी यात्रा सफल बनाओ ||
नाकोडा के भैरव देवा, तुम भक्तो को देते मेवा | झं-झं-झं झंकार कर रहे, सबकी नैया पार कर रहे || नाम तुमारा जिसने धारा, उससे सुभट केसरी हारा | सुमिरन करे नाम जो तेरा,मेट जाए पापो का फेरा ||
दूर देश क्यों दौड़े तपते, बिगड़े काम बने जो जपते| कलियुग भी सतयुग बन जाए, जो तेरी कृपा हो जाए || भक्तो को भगवान् बनाते, सेवक को श्रीमान बनाते | लोहे को कंचन कर डाले, ऐसे पारस परम निराले ||
नमस्कार है चमत्कार को, हरो हमारे अन्धकार को | हम घर मंगल, हम घर मंगल,बन जाए हम निर्मल-निशल ||
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सजे होठ पर सबके खुशिया, रहेना जग मैं कोई दुखिया | गाये सब जन गीत प्यार का, दर्शन होवे मुक्ति द्वार का || पारस प्रभु चरनन चित लाये, जो पारस इकतीस गाये | उसकी हर मंशा हो पूरी प्रभु से रहे न उसकी दुरी || पास प्रभु के द्वार पर, खड़ा झुकाकर शीश |
हरो पीर मन की प्रभु, दो मंगल आशीष || ___ जैसा हु वैसा प्रभु, हु तेरा ही दास | चन्द्र चरण की शरण मैं, एक तुम्हारी आस || मैं अनाथ पर नाथ तू, रखना मुझ पर हाथ | स्वीकारो मुझ पतित को, प्रभु पारसनाथ ||
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मनवा ! मधुर गीत तु गाले
मनवा ! मधुर गीत तु गाले । इस दुनियाकी बातोंको तज,
जीवन सफल बनाले ॥ जगमे चारो ओर अधेरा,
जाग रे मनका हुआ सबेरा। विषयोसे अब मनको हटाकर,जीवन ज्योत जगाले॥मनवा ॥1 झुठा जग ये झुठा बस्ती कभी न मिटे तेरी हस्ती।
___ काया मायाके तज धंधे ,
जैन धर्म अपना ले ॥मनवा॥2 मिठे मिठे गीत सुनाकर अपने आपे आप रमाकर। ज्ञान कमल का बनकर भंवरा,मुक्तानंद रस पा ले॥मनवा॥3
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मेरी नैया पड़ी मझधार में
___ मेरी नैया पड़ी मझधार में, प्रभु तू ही खेवनहार रे। अब तेरे सहारे बिन भगवान, कौन नैया करेगा मेरी पार रे ॥ तुमने सब की लाज बचाई, मेरी भी लाज बचा लेना।
में हूँ प्रभुजी दीन दुखारी, चरणों में अपने बुला लेना ॥ फिर डरने की हमे क्या बात रे, मेरी लाज है तिहारे हाथ रे ॥
प्रभु तू ही खेवनहार रे ....॥१॥ हम तुम्हें ढूंढे तुम नहीं पावो, ऐसा कभी नहीं हो सकता।
आया शरण में दास तिहारे, तेरे बिना नहीं रह सकता ॥ जरा सुनले तू मेरी पुकार रे, मुझे तेरा ही एक आधार रे ॥
प्रभु तू ही खेवनहार रे ....॥ २ ॥ दीन दयाल दया के सागर, दिनों के रखवारे हो।
हमको भी अब तारो स्वामी, सबके तारन हारे हो॥ कहे “हरख” तू ही करतार रे, तेरे हाथ में हमारी पतवार रे ॥
प्रभु तू ही खेवनहार रे ... ॥ ३ ॥
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जिया
तुम
जिया तुम अपनेको पहिचानो | उपयोगी जीवस्य लक्षणम, आगम माँहि बखानौ ।
दर्शन ज्ञान सहित सो चेतन, अपनेको पहचानो॥1
बाकी सब जड जानौ || जिया
तुम रागादिक बंधनके वश हो, तुमनिजरुप भुलानौ ।
मोह महामद पीकर चेतन
अपने को पहिचानो
,तुम परको निज मानौ ॥ | जिया
ही
भ
काम क्रोध मोहादि लोभ,
सब ये विभाव है जानो । सदानंद चैतन्य ज्ञानम,
है मानो । जिया तुम अपनेको पहिचानो॥3 जड़ और चेतन भिन्न सदासे,
ऐसे जानो । किर्ती निकल जावे जब चेतन,
जडको पडे जलानो |जिया तुभअपनेको पहिचान || 4 जय जिनेन्द्र
अपनेको पहचानो || 2
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यहा झठा है जंजा यहा झूठा है जंजाल,
छोड दे मेरे भाई॥ जग मोहमाया का जाल,
छोड दे मेरे भाई॥ गर सुखपाना तुझे तो तजाना चाहिये ,
नाम प्रभु का दिलसे,भजना चाहिये, ना चांदी ना सोना, ना चाहिये दौलत माल,॥छोड दे मेरे भाई।।1
दुष्ट करम ये पीछे तेरे पडे हुये,
लुभा रहे है ठोर ठोर पे अडे हुये, चक्कर मे फंसजाये तो,करते हाल बे हाल,॥छोड दे मेरे भाई।।2
भटकेगा नरको मे पाप का भार ले,
अब भी संभल कर,सदाचार तु धार ले, “पाश्च्” तिहारा साथी,करले तु कल्याण॥छोड दे मेरे भाई
जग मोहमाया का जाल,छोड दे मेरे भाई।।3
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निश्चय और व्यवहार
निश्चय को लक्ष्य मानो, व्यवहार पर चलो तुम। छोडो बुरे करम सब ,
अच्छे करम करो तुम। प्रक्षाल भजन,पुजन जप आदि है शुभ साधन ।
शुभ साधनोसे अपना
जीवन निर्मल करो तुम।।1 मार्दव,क्षमा व आर्जव और सत्य ,दान,संयम, इन सारे सदगुणोपर शुभ आचरण करो तुम॥2 सदसाधनोके व्दारा, निश्चयको प्राप्त कर लो। पा निश्चय आत्मका, फिर चितवन करो तुम।।3
निज परका भेद एक दिन,
आ जायेगा समझमे।
जो पर है उसे छोडे,
निजका वर्णन करो तुम।।4 व्यवहार बिना जगमे चलना चेतन कठिन है।
निश्चय न मिले तब तक , व्यवहार पर चलो तुम ॥5
जय जिनेन्द्र
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मै क्या करु,
- संगम
मै क्या करु वीर,
इस जगमे फंस गया
होय, होय जग में फंस गया। जो ही चाहा भागना, मोह डोरी ना टुटगई,
नश्वर जग माया से मेरी,
ममता ही छुट्टी नही, प्रभु हमे
"
इस जग मे फंस गया | मै क्या करु ॥1
झुठे है यह रिश्ते नाते,
झूठा यह संसार है,
सुख
के साथी,
सब
केवल दुख का नही यार है,
मै हो गया अधीर,
इस जगमे फंस गया। मै क्या करु वीर ॥2
नाम तेरा, ध्यान तेरा
2
दिल से
भुला दिया कर्मने ऐसे दुष्ट मुझे,
भव भव मे रुला दिया,
“पार्श्व ” काटो अब जंजिर,
9
इस जग में फंस गया || मै क्या करु वीर ॥3
जय जिनेन्द्र
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धर्म का हुवा हाल बेहाल
धर्म का हुवा हाल बेहाल
जमाना बदला बदली चाल, धर्म का हुवा हाल बेहाल |
व्यवहारी व्यवहार मे भुलरहा, निश्चयी निश्चय मे झुल रहा ॥
चल रहे सभी अलटी पलटी चाल ॥ जमाना ।। 1 धर्म का हो रहा प्रदर्शन बाह्य,
अंदर भयी खोकली काया ।
धर्म विरोने बदली चाल || जमाना || 2
भेष ( वेशात्तर) कि पुजा घरघर होय, परीक्षा भावो कि न कोय। नई है चाल नई है ढाल || जमाना ॥3
छा रहा घर घर भौतिकवाद, छिप रहा जिसमे आत्म वाद । कहु क्या है ये पंचम काल ॥ जमाना || 4
सुंदर वस्त्र और आहार विषय इन्द्रीयो कि मौज बहार ॥
इन्ही मे रही धर्म की चाल ॥ जमाना ॥5
भावना अधर्म की बढ रही, शितलता सब मे ही भर रही ॥
न जाने "चंद्र” भविष्य क्या हो हाल ॥ जमाना ॥16
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यह जग माया का बाजार
मन,जन्म जरा तु सुधार, यह जग माया का बाजार, आगे पिछे है कर्मो की मार,
जहाँ बचना है दुश्वार ॥ धन दौलत ये महल अटारी, क्षण मे राजा बने भिखारी, चंद दिनो मे यह नाशजाये
चेत जरा तु न फंस जाये, प्रभु शरण से करलो उध्दार।यह जग माया का बाजार।।1
आय अकेला जाय अकेला , दुनिया है स्वप्नो का मेला , बंधी मुठ्ठी लेकर आये,
हाथ पसारे खाली जाये, मौत भी न करे इतजार।यह जग माया का बाजार।।
गर पाना है मुक्ति नगरिया, कदम बढाना उसी डगरिया, जाती जो शिवपुर को है प्यारे,
अनंत सुखो का वैभव धारे,
“पार्श्व'प्रभु की कर जयकार, लेजाये तुझको भव से पार॥यह जग माया का बाजार।।
__ जय जिनेन्द्र
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कर लेना
त्याग भलाई भी
तु
कर लेना तु त्याग भलाई भी,
मानव जीवन का काम है ये।
ईश्वर ने जो हमको भेजा है, वो साथ दिया पैगाम है ये ॥ गफलत मे ना यु ही खो देना, रंगीन जवानी मे घडिया । क्षण भर भी न खाली जा पाये, आराम को मान हराम है ये || कर लेना तु || 1 धन दौलत महल अटारी ये, दुनिया मे तुझे फुसलाती है ये । इस सब से तु नफरत ही करना, कर्म बंधन का इंतजाम है ये। सयंम ओर त्याग अहिंसा से, जीवन मे की ही करना ।
इस जन्म को फिर न पायेगा,
ईश्वर का अमुल्य इनाम है ये || कर लेना तु त्याग भलाई भी।
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एक बार प्रभु आओ चाहे आके चले जाना
एक बार प्रभु आओ, चाहे आके चले जाना,
जाने नहीं देंगे हम, तुम जाके तो दिखलाना वो कौन घड़ी होगी, वो कौन सा पल होगा, तेरा दर्शन कर भगवन, मेरा जनम सफल होगा, एक पल की खातिर तुम, अब और ना तरसाना...
एक बार प्रभु आओ, चाहे आके चले जाना, जाने नहीं देंगे हम, तुम जाके तो दिखलाना.....
हमने तुझे पुजा है, मन वाणी कर्मों से, दीदार की प्यासी है, आंखे कई जन्मों से, इक झलक दिखा तुम, ये `प्यास बुझा जाना...
एक बार प्रभु आओ, चाहे आके चले जाना, जाने नहीं देंगे हम, तुम जाके तो दिखलाना..
मेरी आस बंधी तुमसे, ये आस ना तोड़ोगे, ये दुनिया देख रही, विश्वास ना तोड़ोगे हूं पूर्ण समर्पित मैं, मुझको नही ठुकराना...
एक बार प्रभु आओ, चाहे आके चले जाना, जाने नहीं देंगे हम, तुम जाके तो दिखलाना...
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तुझे हम ढूंढ रहे है कहां है देहरे वाले
तुझे हम ढूंढ रहे है,
कहां है देहरे वाले,
या तो अब सामने आ, या हमे भी तु छुपाले... तुझे हम...
सफर में जिन्दगी के, कुछ ऐसे मोड़ आये, जिन्हे समझा था अपना,
वो निकले पराये, एक तेरा है सहारा,
गले से तु लगाले... तुझे हम...
दर्द से अपना रिश्ता,
पुराना हो गया है, तेरी चाहत मे ये दिल,
दिवाना हो गया है,
सुन सदा धड़कनो की-2 हम है तेरे हवाले... तुझे हम...
डोर सांसो की टूटे, जमाना चाहे रूठे, यही बस आरजु है, तेरा दामन ना छुटे,
तड़फते है तेरे बिन, पास अपने बुलाले... तुझे हम...
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एक दर पे भिखारी है
एक दर पे भिखारी है, बड़ा दीन-दुखारी है,
तेरी बाट निहार रहा, तेरा नाम पुकार रहा.. एक दर पे..
इस दिल में उदासी है, आंखे दर्श की प्यासी है, तेरे दर्शन हो जाये, इच्छा ये जरा सी है, सुनी सी आंखों से,
तेरा द्वार निहार रहा.. एक दर पे..
सुनते है तेरी रहमत, हर ओर बरसती है, हम पर भी दया कर दो, हसरत ये मचलती है,
अब तो आ जाओं प्रभु, तेरा बेटा पुकार रहा.. एक दर पे..
धन दौलत ना चाहिये, ना चांदी ना सोना, दे दो अपने दिल में, एक छोटा सा कोना,
जी नही पायेंगे हम, तेरा गर इन्कार रहा.. एक दर पे..
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दुनियां के सताये है, तेरी शरण में आये है, कर दो कृपा अब हम पर,
हम ठोकरें खाये है, अब थाम लो तुम दामन, बैरी संसार रहा.. एक दर पे..
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बरसा पारस सुख बरसा आंगन-2 सुख बरसा
बरसा पारस, सुख बरसा,
आंगन-2 सुख बरसा
चुन-2 कांटे नफरत,
प्यार अमन के फूल खिला... बरसा पारस..
द्वेष-भाव को मिटा,
इस सकल संसार से.
तेरा नित सुमिरन करें,
मिल-जुल सारे प्यार से,
मानव से मानव हो ना जुदा... आंगन- 2
झोलियां सभी की तु, रहमों करम से भर भी दे,
पीर-पर्वत हो गई,
अब
कृपा कर भी दे,
मांगे तुझसे ये ही दुआ... आंगन-2
कोई मन से है दुखी, कोई तन से है दुखी, ऐसा करो,
कुल जहान हो सुखी,
सुखमय जीवन सबका सदा... बरसा पारस..
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तुझे पिता कहुं या माता तुझे मित्र कहुं या भ्राता
तुझे पिता कहुं या माता, तुझे मित्र कहुं या भ्राता,
सौ-2 बार नमन करता हूं चरणों में झुका के माथा... तुझे पिता कहुं...
हे परमेश्वर तेरी जग में,
है महिमा बहुत निराली, तु चाहे तो बज जाये, हर एक हाथ से ताली
हे प्रभु तेरी कुदरत का, ये खेल समझ नही आता... तुझे पिता कहुं...
सती मैना ने तुझे पुकारा, तुने पति का कोढ़ मिटाया,
मुनि मानतुंग ने ध्याया, सौ तालों को तोड़ गिराया,
कण-2 में तु बसा है, पर कही नज़र नही आता... तुझे पिता कहुं...
है धरा पाप से बोझल, तब हमने तुझे पुकारा, अब धीरज डोल रहा है,
तु दे दे हमे सहारा,
बिन तेरे इस दुनिया में, हमे कोई नज़र नही आता... तुझे पिता कहुं...
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स्वागतम गुरूवर शरणागतम गुरूवर
स्वागतम गुरूवर, शरणागतम गुरूवर, सुस्वागतम गुरूवर, शरणागतम गुरूवर,
तुने भक्तों से वादा किया था, कि बुलाओगें जब चला आउंगा,
जब बढ़ने लगेगा अंधेरा, ज्ञान का दीप आके जलाउंगा,
स्वागतम गुरूवर, शरणागतम गुरूवर, सुस्वागतम गुरूवर, शरणागतम गुरूवर,
तेरी उम्मीद, तेरा सहारा, हमने रो-2 के तुझको पुकारा, हम तो तेरे है, तेरे रहेंगे, तु बता कब बनेगा हमारा,
स्वागतम गुरूवर, शरणागतम गुरूवर,
सुस्वागतम गुरूवर, शरणागतम गुरूवर, तेरी राहों में पलकें बिछाई, तेरी आमद को गलियां सज़ाई,
ना कर देर अब आजा प्यारे, वरना होगी बड़ी ज़ग हसाई,
स्वागतम गुरूवर, शरणागतम गुरूवर,
सुस्वागतम गुरूवर, शरणागतम गुरूवर,
तेरी दुनिया का दस्तुर है क्या, जिसे चाहो वो मिलता नही है,
पर ये भी हकीकत है तुझ बिन, एक पत्ता भी हिलता नही है स्वागतम गुरूवर, शरणागतम गुरूवर, सुस्वागतम गुरूवर, शरणागतम गुरूवर,
तेरे दर पर मेरा सर झुका है, इसे दुनिया में झुकने ना देना, हम रहे ना रहे इस जहां में, नाम भक्तो का मिटने ना देना,
स्वागतम गुरूवर, शरणागतम गुरूवर,
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सुस्वागतम गुरूवर, शरणागतम गुरूवर, हमसे कोई खता गर हुई है, फिर भी तुझ से महोब्बत करेंगे, हमे मोक्ष की परवाह नही है, हम तो तेरी ही पुजा करेंगे,
स्वागतम गुरूवर, शरणागतम गुरूवर, सुस्वागतम गुरूवर, शरणागतम गुरूवर
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जय महावीरा बोल जरा बोल है ये अनमोल जरा
जय महावीरा बोल जरा,
बोल है ये अनमोल जरा,
करदे पली पार तुझे,
तु लंगर तो खोल जरा, सदियों से जो भटक रहे थे,
उनका बेडा पार हुआ,
उलटफेर में अटक रहे थे,
उनका भी उद्धार हुआ,
आना जाना लगा रहेगा,
मन की आंखे खोल जरा, जय महावीरा बोल जरा,
बोल है ये अनमोल जरा,
मतलब के है रिश्ते नाते,
कोई किसी का यार नही,
झुठी कसमें, झूठे वादे,
ये सच्चा संसार नही,
प्यार यहां पर बना तिज़ारत, खोल ना इसकी पोल जरा
जय महावीरा बोल जरा,
बोल है ये अनमोल जरा,
क्या जीना, क्या मरना यारों,
ये दुनिया एक सपना है,
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कदम-कदम पे धोखा देगी, यहां नही कोई अपना है,
ऐसी दुनिया तुझे मुबारक, हमसे कुछ ना बोल
जय महावीरा बोल जरा, बोल है ये अनमोल जरा
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मैं तेरी महर की नज़र चाहता हूं
मैं तेरी महर की नज़र चाहता हूं, दुआओं में अपनी असर चाहता हुं,
मैं तेरी महर की नज़र चाहता हूं, दुआओं में अपनी असर चाहता हूं, मैं तेरी महर...
तमन्ना मचलके ये गाने लगी है, तेरी याद भगवन सताने लगी है,
तुझे हाले-दिल की ख़बर चाहता हूं, दुआओं में अपनी असर चाहता हूं, मैं तेरी महर...
तरसते है नैना ओ महावीर आओं, तुम्हारे है हम युं ना हमको सताओं,
इबादत तेरी हर पहर चाहता हूं, दुआओं में अपनी असर चाहता हूं, मैं तेरी महर...
मेरे दिल की सुनी महफिल सजादे, ___ तुझे कैसे पाउ ये तुही बतादे जो तुझसे मिला दे, सफर चाहता हूं
दुआओं में अपनी असर चाहता हूं, मैं तेरी महर...
तुझसे मिलन की प्यास जगी है, आओगे इक दिन ये आस लगी है,
सबे-गम की अब मैं सहर चाहता हूं दुआओं में अपनी असर चाहता हुं, मैं तेरी महर...
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तेरी याद में ओ भगवन हम तो
तेरी याद में ओ भगवन,
तो हुए दिवाने,
तुझको खबर नही कुछ, दुनिया लगी सताने, तेरी याद...
हम
दिल दर्द से भरा है,
कोई ना आसरा है,
आये है दर पे,
हम हाले दिल सुनाने, तेरी याद... हरेक सपना,
कोई नही है अपना,
अब तुम ही आओं भगवन,
हमको गले लगाने, तेरी याद...
हुए
करदे
मुरादपुरी, मिट जायेगी ये दूरी,
पल भर को आजा भगवन,
मुखड़ा मे दिखाने, तेरी याद...
हमको है आस तेरी,
अब करना वीरा देरी,
महावीर जल्दी आओं,
इस आस को बंधाने, तेरी याद...
अब सांस थम रही है,
और सांझ ढल रही है,
आना पड़ेगा तुझको, बुझती षंमा जलाने, तेरी याद...
दिवाने
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तेरा ही नाम है लब पे तुझे ही गुन गुनाता हूं,
तेरा ही नाम है लब पे, तुझे ही गुन गुनाता हूं, तुम्हारे प्यार के नग्में, मैं दुनिया को सुनाता हूं...
मेरी आंखों से टपके हैं, जो तेरी याद में आंसू, उन्ही अष्को के मोती से-2, तेरी माला बनाता हूं...
तेरा ही नाम है लब पे, तुझे ही गुन गुनाता हूं, तुम्हारे प्यार के नग्में, मैं दुनिया को सुनाता हूं...
जमाने भर ने बख्षी हैं, मुझे जो दर्द की दौलत, तेरे कदमों की आमद पे, उसे पल पल लुटाता हुं...
तेरा ही नाम है लब पे, तुझे ही गुन गुनाता हूं, तुम्हारे प्यार के नग्में, मैं दुनिया को सुनाता हूं... तुम्हारी बाट तकते है, मेरे ये बावरे नैना-2,
अजी ये बावरे नैना-2,
तेरी राहों में ऐ भगवन, मैं नित पलकें बिछाता हूं...
तेरा ही नाम है लब पे, तुझे ही गुन गुनाता हूं, तुम्हारे प्यार के नग्में, मैं दुनिया को सुनाता हूं...
नज़र धुन्धला रही है अब, धड़कना भी है कम दिल का, तुम्हारे नाम की घंमा, मैं बुझ-2 के जलाता हूं...
तेरा ही नाम है लब पे, तुझे ही गुन गुनाता हूं, तुम्हारे प्यार के नग्में, मैं दुनिया को सुनाता हूं...
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मोक्ष के प्रेमी हमने कर्मो से लढते देखे
मोक्ष के प्रेमी हमने कर्मो से लढते देखे।
मखमल मे सोनेवाले, भुमि पे गिरते देखे ॥ सरसोंका दान जिसको, बिस्तर पर चुबता था।
काया की सुध नही, गीधड तन खाते देखे ॥मोक्षके प्रेमी।।1
पारसनाथ स्वामी,
उसही भव मोक्षगामी। कर्मो ने नही कवट्या पत्थरतक गिरते देखे
॥मोक्षके प्रेम।।2 सुदर्शन शेठ प्यारा, राणीने फंदा डाला।
शील को नही भंगा, शुलीपे चढते देखे।मोक्ष के प्रेमी॥3
बौध्द का जब जोर था, निष्कलंक देव देखे।
धर्म को नही छोडा, मस्तक तककटते देखे ॥मोक्षके प्रेमी॥4
भोगों को त्यागो चेतन, जीवन तो बीता जाये।
आशा ना पुरी होई मरघट मे जाते देखे।मोक्षके प्रेम हमने कर्मोसे लढते देखे।।5
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मधुबन के मंदिरो में भगवान बस रहा है
मधुबन के मंदिरो में भगवान बस रहा है। पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है।
आध्यात्म का यह सोना पारस ने खुद दिया है, ऋषिओं ने इस धरा से निर्वाण पद लिया है। सदिओं से इस शिखर का स्वर्णिम सुयश रहा है, पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ॥
मधुबन के मंदिरों में...
तीर्थंकरों के तप से पर्वत हुआ यह पावन,
केवल्य रश्मिओं का बरसा यहां सावन । उस ज्ञानामृत के जल से पर्वत सरस रहा है, पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है।
मधुबन के मंदिरों में...
पर्वत के गर्भ में है रत्नो का है वो खजाना, जब तक है चंन्द सूरज होगा नहीं पुराना । जन्मा है जैन कुल में तू क्यों तरस रहा है, पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है।
मधुबन के मंदिरों में...
नागो को भी यह पारस राजेन्द्र सम बनाए, उपसरग के समय जो धेन्द्र बन के आए।
पारस के सर पे देवी पद्मावती यहाँ है, पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ॥
मधुबन के मंदिरों में...
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भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना
भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना। अब तक तो निभाया है. आगे भी निभा देना ॥
दल बल के साथ माया, घेरे जो मुझ को आ कर । तुम देखते ना रहना, झट आ के बचा लेना ॥
संभव है झंझटों में मैं तुझ को भूल जाऊं। पर नाथ दया कर के मुझ को ना भुला देना ॥
तुम देव मैं पुजारी, तुम इष्ट मैं उपासक । यह बात अगर सच है तो सच कर के दिखा देना ॥
तेरी कृपा से हमने हीरा जनम यह पाया। जब प्राण तन से निकले, अपने में मिला लेना ॥
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जीवन है पानी की बूँद कब मिट जाए रे
जीवन है पानी की बूँद कब मिट जाए रे होनी अनहोनी कब क्या घाट जाए रे
जितना भी कर जाओगे, उतना ही फल पाओगे करनी जो कर जाओगे, वैसा ही फल पाओगे नीम के तरु में नहीं आम दिखाए रे जीवन है पानी की बूँद ..
चाँद दिनों का जीवन है, इसमें देखो सुख काम है म सभी को मालूम है, लेकिन मृत्यु से ग़ाफ़िल है जाने कब तन से पंक्षी उड़ जाए रे जीवन है पानी की बूँद ...
किस को मने अपना है, अपना भी तो सपना है जिसके लिए माया जोड़ी क्या वो तेरा अपना है तेरा हो बेटा तुझे आग लगाए रे जीवन है पानी की बूँद ..
गुरु जिस को छू लेते हैं वो कुंदन बन जाता है
तब तक सुलगता दावानल, वो सावन बन जाता है आतंक का लोहा अब पारस कर ले रे
जीवन है पानी की बूँद ...
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बाबा कुण्डलपुर वाले की भक्ति करो झूम झूम के
बाबा कुण्डलपुर वाले की भक्ति करो झूम झूम के
झूम झूम के, घूम घूम के,
घूम घूम के, झम झम के विद्यासागर छोटे बाबा की भक्ति करो झूम झूम के
बाबा कुण्डलपुर वाले की....
कुण्डलपुर की सुन्दर पहड़िया पहड़िया पे है सुन्दर अटरिया
झूम झूम के, घूम घूम के, जहा विराजे बड़े बाबा, भक्ति करो झूम झूम के
बाबा कुण्डलपुर वाले की... नए मंदिर में हुआ रे कमाल है बड़े बाबा की मूरत विशाल है
झूम झूम के, घूम घूम के, मंदिर विराजे बड़े बाबा की भक्ति करो झूम झूम के
बाबा कुण्डलपुर वाले की... विद्यासागर जी का यह सपना सपना देखो हो गया अपना
झूम झूम के घूम घूम के से उठ गए बाबा, भक्ति करो झूम झूम के बाबा कुण्डलपुर वाले की....
बाज रहे मृदिंग मजीरा सारे जग की हर ली है पीड़ा
झूम झूम के, घूम घूम के बिगड़ी बना दे बड़े बाबा की भक्ति करो झूम झूम के
बाबा कुण्डलपुर वाले की...
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जब से गुरु दर्श मिला मनवा मेरा खिला खिला
पूछो मेरे दिल से यह पैगाम लिखता हूँ, गुजरी बाते तमाम लिखता हूँ दीवानी हो जाती वो कलम, हे गुरुवार जिस कलम से तेरा नाम लिखता हूँ
जब से गुरु दर्श मिला, मनवा मेरा खिला खिला
मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे मेरी तो पतंग उड़ गयी रे
फांसले मिटा दो आज सारे, होगये गुरूजी हम तुम्हारे
मनका का पंछी बोल रहा, संग संग डोल रहा मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे, मेरी तो पतंग उड़ गयी रे
आज यह हवाएँ क्यों महकती, आज यह घटाएं क्यों चहकती
अंग अंग में उमंग, बड़ रही है संग संग मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे, मेरी तो पतंग उड़ गयी रे
तुम्ही ही समय सार मेरे, तुम्ही हो नियम सार मेरे
खिल रही है कलि कलि, महक रही गली गली मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे, मेरी तो पतंग उड़ गयी रे
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बजे कुण्डलपर में बधाई
बजे कुण्डलपर में बधाई, के नगरी में वीर जन्मे, महावीर जी
जागे भाग हैं त्रिशला माँ के, के त्रिभवन के नाथ जन्मे, महावीर जी
हो... शुभ घडी जनम की आई, सवरग से देव आये, महावीर जी
तेरा नवन करें मेरु पर के, इंद्र जल भर लाए, महावीर जी
हो.. तुझे देवीआं झुलाये पलना, मन में मगन हो के, महावीर जी
तेरे पलने में हीरे मोती, के. गोरिओं में लाल लटके, महावीर जी
हो... अब ज्योति तेरी जागी के सूर्य चाँद छिप जाए, महावीर जी
तेरे पिता लुटावें मोहरें खजाने सारे खुल जाएंगे, महावीर जी
हो... हम दरश को तेरे आए के पाप सब काट जाएंगे, महावीर जी
बजे कुण्डलपर में बधाई, के नगरी में वीर जन्मे, महावीर जी
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मेरा आपकी
'कृपा
से सब काम हो रहा है
'कृपा से सब काम हो रहा है
मेरा आपकी करते हो तुम गुरुवार, मेरा नाम हो रहा है
पटवार के बिना ही मेरी नाव चल रही है बिन मांगे मेरे गुरुवार हर चीज मिल रही है हर वार दुश्मनो का नाकाम हो रहा है मेरा आपकी कृपा से....
मेरी जिंदगी में तुम हो, किस बात की कमी है मुझे और अब किसी की परवाह भी नहीं है तेरी बदौलतों से सब काम हो रहा है मेरा आपकी कृपा से...
दुनिया में होंगे लाखों, तेरे जैसा कौन होगा तुझ जैसा बंदापरवर भला ऐसा कौन होगा तेरे नाम का ही सुमिरन, आराम दे रहा है मेरा आपकी कृपा से...
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सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं, सामान सोबरस का है, पल की खबर नहीं।
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी, ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी |
छोटो सा तू, कितने बड़े अरमान तेरे, मिट्टी का तु, सोने के सब सामन हैं तेरे । मिट्टी की काया मिट्टी में जिस दिन समाएगी, ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी |
पर तोल ले, पंची तू पिंजरा तोड़ के उड़ जा, माया महल के सारे बंधन छोड़ के उड़ जा । धड़कन में जिसदिन मौत तेरी गुनगुनायेगी, ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी |
काहे करे नादान तू दुनिया में नादानी, या तेरी यह राजसी है राख हो जानी । 'राजेंदर' तेरी आत्मा विदेह जायेगी, ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी ||
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जब कोई नहीं आता मेरे बाबा आते है
जब कोई नहीं आता मेरे बाबा आते है । मेरे दुःख के दिनों में वो बड़े काम आते है ॥
मेरे नैया चलती है, पतवार नहीं चलती । किसी और को अब मुझको तरकर नहीं चलती ॥ मै डरता नहीं जग से, बाबा साथ आते है । मेरे दुःख के दिनों में वो बड़े काम आते है ॥
कोई याद करे उनको दुःख हल्का जाए। कोई भक्ति करे उनकी, वो उनका हो जाए ॥ ये बिन बोले सब कुछ पहचान जाते है दुःख के दिनों में वो बड़े काम आते है ॥
1
मेरे
ये इतने बड़े होकर, दीनो से प्यार करे । अपने भक्तो के दुःख को वो पल में दूर करे | सब भक्तो का कहना बाबा मान जाते है । दुःख के दिनों में वो बड़े काम आते है ॥
मेरे
मेरे मन के मंदिर में बाबा का वास रहे । कोई रहे ना रहे बस बाबा पा रहे ||
मेरे व्याकुल मन को बाबा जान जाते है । दुःख के दिनों में वो बड़े काम आते है ॥
मेरे
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भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना
भगवान मेरी नैया, उस पार लगा देना अब तक तोह निभाया है, आगे भी निभा देना हम दिन दुखी निर्धन, नित नाम जपे प्रति
यह सोच दरस दोगे, प्रभु आज नहीं तो जो बाग़ लगाया है फूलो से सजा देना
अब तक तोह निभाया...
शांति
हो,
तुम
सुधाकर
तुम ज्ञान दिवाकर हो
मुम हँस चुगे मोती, तुम मानसरोवर हो
दो बूंद सुधा रूस की, हम को भी पिला देना अब तक तोह निभाया...
रोकोगे भला कब तक, दर्शन दो मुझे तुम चरणों से लिपट जाऊं प्रभु शोक लता जैसे अब द्वार खड़ा तेरे, मुझे रह दिखा देना अब तक तोह निभाया है...
मझदार पड़ी नैया डगमग डोले भव में आओ त्रिशाला नंदन हम धयान धरे मन में अब दस करे विनती, मुझे अपना बना लेना भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना
अब तक तोह निभाया है आगे भी निभा देना
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तेरे चरणो मे आये भगवान आशा लेके आये है
तेरे चरणो मे आये. भगवान आशा लेके आये है। सुधर जाये प्रभु जीवन, ये इच्छा लेके आये है ॥
न आवे भाव हिंसा का वचन हितकर सदा बोले । शील संतोष मय जीवन की वांछा लेके आये है ॥ तेरे चरणो मे ॥1
सभी से प्रेम हो, हमको नही व्देष द्रष्टो से। भाव दऽखियो पे हम अपना दया को लेके आये है ॥ तेरे चरणो मे ॥2
काम और क्रोध की अग्नि हमारी शांत हो भगवन । लोभ, मद मोह मर्दन की सुचिता लेके आये है ॥ तेरे चरणो मे ॥3
रहे नित भाव समताका, न ममता हो हमे तन से ।
सफल शिवराम हो, कामना लेके आये है ॥ तेरे चरणो मे ॥4
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अरिहंत जय जय सिद्ध प्रभु जय जय
अरिहंत जय जय सिद्ध प्रभु जय जय । साधू जीवन जय जय जैन धर्म जय जय ॥
अरिहंत मंगल सिद्ध प्रभु मंगल । साधू जीवन मंगल, जैन धर्म मंगल ॥
अरिहंत उत्तम सिद्ध प्रभु उत्तम । साधू जीवन उत्तम, जैन धर्म उत्तम ॥
अरिहंत शरणम सिद्ध प्रभु शरणम । साधू जीवन शरणम, जैन धर्म शरणम ॥
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जय जिनेन्द्र बोलिए
जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए। जय जिनेन्द्र की ध्वनि से, अपना मौन खोलिए॥ सुर असुर जिनेन्द्र की महिमा को नहीं गा सके। और गौतम स्वामी न महिमा को पार पा सके ।
जय जिनेन्द्र बोलकर जिनेन्द्र शक्ति तौलिए। जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, बोलिए || जय जिनेन्द्र ही हमारा एक मात्र मंत्र हो
जय जिनेन्द्र बोलने को हर मनुष्य स्वतंत्र हो । जय जिनेन्द्र बोल बोल खुद जिनेन्द्र हो लिए।
जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए || पाप छोड़ धर्म छोड़ ये जिनेन्द्र देशना । अष्टकर्म को मरोड़ ये जिनेन्द्र देशा || जाग, जाग, जग चेतन बहुकाल सो लिए |
जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए || है जिनेन्द्र ज्ञान दो, मोक्ष का वरदान दो ।
कर रहे प्रार्थना, प्रार्थना पर ध्यान दो ॥ जय जिनेन्द्र बोलकर हृदय के द्वार खोलिए ।
जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए ||
जय जिनेन्द्र की ध्वनि से अपना मौन खोलिए॥ मुक्तक द्वार है सब एक दस्तक भिन्न है। भाव है सब एक मस्तक भिन्न है।
स्कूल है ऐसी जहाँ पाठ है सब एक पुस्तक भिन्न है
जिंदगी
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देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई महावीर
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई महावीर,
कितनी बदल गई तस्वीर। सूरज न बदला, चाँद न बदला, न बदले दिन-रात,
कितने बदल गए हालात। आज आदमी बना जानवर, नहीं समझे ये प्यार की भाषा, पैसों की खातिर भाई ही, भाई के प्राणों का प्यासा। अपनी तिजोरी भरने को बेच रहा जमीर,
कितनी बदल गई तस्वीर।
माता-पिता की कदर नहीं है, भटक रहे दर-दर ये बेचारे, नहीं साथ कोई रखना चाहे दूर भागते इनसे सारे। इन्ही कपूतों की करनी से, हालत है गम्भीर,
कितनी बदल गई तस्वीर। झूठ बोलता, कम ये तौलता, करे मिलावट और मक्कारी,
नकली दवा बनाये बेचे अकल गई है इनकी भारी। इतनी गिरावट आ गई भगवान कैसे ढकू अब चीर,
कितनी बदल गई तस्वीर।
प्रभु भक्ति तो भूल गया ये, बाईक खूब भगाये, खाकर गुटखा दिन भर मुँह में पीक थूकता जाये। माबाईल को लगा कान से लगता बड़ा अमीर,
कितनी बदल गई तस्वीर। जात-पात सब खत्म हो रही, नहीं नज़र आता ईमान, गिरगिट जैसे रंग बदलते, बन गये हैं सब शैतान। “जैनी' अरज करे जिनवर फिर आवो है वीर,
कितनी बदल गई तस्वीर।
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ध्यान - ध्यान धरना है धरले
(तर्ज - धूम मचाले) ध्यान – ध्यान धरना है धरले, धर्म धर्म करना है करले
जैन धर्म है सबसे प्यारा, धर्म ही तो जिंदगी है, धर्म ही तो हर खुशी है भक्ति के भावो में आकार झूम, झूमरे मानव झूमरे मनवा झूम....
धर्म बिना नहीं मुक्ति मिले, सबको यहाँ है पता बेखबर हो तु यू न जीवन बिना, तु भी ले – ले भक्ति का मजा
भकित की ये भावना हो, भक्ति की ये चाहता हो भक्ति की भावो में आके झुम, झुम रे मनवा
पल – पल यहाँ सभी कर्म खड़े, कर्मो को खुद को बचा करनी एसी कर्म फिर न मी तु जन्म एसी भक्ति के भाव जगा भावो की महिमा को उजारो, भावो की शक्ति को मानो
भावो की लहरों में आके झुम, झूमरे मनवा ......
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कभी वीर बन के, महावीर बन के तीर्थंकर वंदना ( Tirthankar Vandana)
कभी वीर बन के, महावीर बन के चले आना,
दरश मोहे दे जाना॥ तुम ऋषभ रूप में आना, तुम अजित रूप में आना। संभवनाथ बन के, अभिनंदन बन के चले आना,
दरश मोहे दे जाना॥ तुम सुमति रूप में आना, तुम पद्म रूप में आना। सुपार्श्वनाथ बन के, चंदा प्रभु बन के चले आना,
दरश मोहे दे जाना॥
तुम पुष्पदंत रूप में आना, तुम शीतल रूप में आना। श्रेयांसनाथ बन के, वासुपूज्य बन के चले आना,
दरश मोहे दे जाना। तुम विमल रूप में आना, तुम अनंत रूप में आना। धरमनाथ बन के, शांतिनाथ बन के चले आना,
दरश मोहे दे जाना॥
तुम कुंथु रूप में आना, तुम अरह रूप में आना। मल्लिनाथ बन के, मुनि सुव्रत बन के चले आना,
दरश मोहे दे जाना। तुम नमि रूप में आना, तुम नेमि रूप में आना। पार्श्वनाथ बन के, महावीर बन के चले आना,
दरश मोहे दे जाना। कभी वीर बन के, महावीर बन के चले आना,
दरश मोहे दे जाना॥
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पारस प्यारा है
(तर्ज- राधिका गोरी से)
पारस प्यारा है. जीवन आधारा है, नैया लगा दे प्रभु पार
अरे ओ सुन लो मेरी पुकार तारणहाराह है, दीन दयाला है बाबा लगा दे भव पार
अरे ओ सुन लो मेरी पुकार पारस प्यारा है ....
सुन्दर मन हर नारी, देखो ये करुणा धारी सन्मार्ग की देनारी, है निर्मल मन करनारी मंदिर में आ जाओ- 2 मूरत सुहानी है
पारस प्यारा है ....
ज्ञान दीपक धरनारी, दुःख दोहम विपदा हारी त्रिभुवन में महिमा भारी, गुण गाते सुर नर नारी भक्ति से ... पा जाओ – पा जाओ, शक्ति निराली है
पारस प्यारा है .....
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भावना एक मेरी प्रभु स्वीकार लेना
(तर्ज- थोडा सा प्यार हुआ है...)
भावना एक मेरी प्रभु स्वीकार लेना डूबे ना नाव मेरी – २, इसे तु तार लेना भावना एक मेरी....
शरण हमने लिया है, अर्पण तुम्हे किया है
दिल में बसा लिया, ये दिल तुमको दिया है आज आकार खड़ा हूँ - २ मुझे यू तार लेना भावना एक मेरी....
नाथ तुमसा मिला है, ह्रदय का बाग खिला है
कर्मो का राज हिला है मुझे सरताज मिला है तुम्हे पाकर खुशी है – २, कोई ना नाथ मेरे भावना एक मेरी.
ज्ञान तुमने दिया है, पान उसका किया है
आज हर्षित जिया है गम को भुला दिया है भाव की पुष्प माला – २, इसे तुम धार लेना भावना एक मेरी.....
प्रभु तुमने दिखाया, भक्ति का भाव जगाया
आस लेकर बड़ी, दर्शन तेरा सुहाया जैन ज्ञान आया – २, रटन है दिवस रेना भावना एक मेरी....
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________________ नाम है तेरा तारण हारा नाम है तेरा तारण हारा कब तेरा दर्शन होगा........ नाम है तेरा तारण हारा कब तेरा दर्शन होगा जिनकी प्रतिमा इतनी सुन्दर, वो कितना सुन्दर होगा - 2 तुमने तारे लाखो प्राणी यह संतो की वाणी है तेरी छवि पर मेरे भगवन ये दुनिया दीवानी है -2 भाव से तेरी पूजा रचाओं, जीवन में मंगल होगा जिनकी प्रतिमा इतनी सुन्दर, वो कितना सुन्दर होगा - 2 सुरवर मुनिवर जिनके चरण में निशदिन शीश जुकते है जो गाते है प्रभु की महिमा वो सब कुछ पा जाते है -2 अपने कष्ट मिटाने को तेरे, चरणों का वंदन होगा जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर, वो कितना सुंदर होगा - 2 मन की मुराते लेकर स्वामी तेरे चरण में आये है, हम है बालक , तेरे जिनवर तेरे ही गुण गाते है -2 भाव से पार उतरने को तेरे, गीतों का सरगम होगा जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर, वो कितना सुंदर होगा - 2 नाम है तेरा तारण हारा ...... 78