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________________ प्रभु पार्श्वनाथ, प्रभु भेरवनाथ क्षमापना मंत्र है प्रभु पार्श्वनाथ, है प्रभु भेरवनाथ, मेरे से रात दिन हज़ारो अपराध होते रहते है. मैं आपका दास हुं यह समझकर कृपा पूर्वक क्षमा करो | मैं आपका आवाहन करना नहीं जानता विसर्जन करना नहीं जानता तथा पूजा करने का ढंग नहीं जानता, है प्रभु मुझे क्षमा करो मंत्रहिन क्रियाहीन तथा भक्तिहिन् जो पूजन किया है. वह आपकी कृपा से पूर्ण हो | है प्रभु मैं अज्ञानी हु, अपराधी हु, मैं आपकी शरण मैं अगया हु, इसलिए दया का पात्र आगे जो आपको उचित लगे वैसा करे भूल से, अज्ञान से, बुधिभांत होने का कारन कुछ न्यूनता या अधिकता हो गयी हो तो क्षमा करो और जल्दी प्रसन्न हो आपतो गोपनीय से गोपनीय वास्तु की रक्षा करने वाले हो, मेरे निवेदन किये गए इस पाठ को स्वीकार करो, आपकी कृपा से मेरी मनोकामना पूर्ण हो | (सीधी प्राप्त हो) ॐ ह्रीं श्रीं भैरवदेव पूजिताय, श्री नाकोडा पार्श्वनाथाय नमः 32
SR No.009246
Book TitleJain Bhajan Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages78
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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