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तर्ज (मुझको अपने गले-हमराही)
__ आये यहा तो कुछ कर जाओ,सुनलो मेरे भाई। खुद को किसी से कम नही समझो,नरतन का यह सार है ॥आये यहा॥
खुद ही खुदा तु खुद ही जिन है खुद ही क्रुष्ण राम है।
बनजाये तेरी आत्मा ,परमात्माका धाम है। नही असंभव कार्य यहा पर,यह तो सुलभ संसार है।आये यहा तो।।
दीनों से तु प्यार है करले,दीनानाथ ही बनजाये।
ऊंच नीच का भेद छोडदे,समदर्शी तु कहलाये। कौन धनी यहा कौन गरीब है,तजदे कुविचार है||आये यहा तो। __ आया अकेला है जग मे और अकेला जायेगा।
काहे किसी से व्देष करे तु यहा से कुछ पायेगा नही। गर चाहे तेरा नाम रहे यहा,धरले सदाचार है।आया यहा तो कुछ कर जाओ।
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