Book Title: Jain Bhajan Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 54
________________ जय महावीरा बोल जरा बोल है ये अनमोल जरा जय महावीरा बोल जरा, बोल है ये अनमोल जरा, करदे पली पार तुझे, तु लंगर तो खोल जरा, सदियों से जो भटक रहे थे, उनका बेडा पार हुआ, उलटफेर में अटक रहे थे, उनका भी उद्धार हुआ, आना जाना लगा रहेगा, मन की आंखे खोल जरा, जय महावीरा बोल जरा, बोल है ये अनमोल जरा, मतलब के है रिश्ते नाते, कोई किसी का यार नही, झुठी कसमें, झूठे वादे, ये सच्चा संसार नही, प्यार यहां पर बना तिज़ारत, खोल ना इसकी पोल जरा जय महावीरा बोल जरा, बोल है ये अनमोल जरा, क्या जीना, क्या मरना यारों, ये दुनिया एक सपना है, 54

Loading...

Page Navigation
1 ... 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78