Book Title: Jain Bhajan Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 50
________________ बरसा पारस सुख बरसा आंगन-2 सुख बरसा बरसा पारस, सुख बरसा, आंगन-2 सुख बरसा चुन-2 कांटे नफरत, प्यार अमन के फूल खिला... बरसा पारस.. द्वेष-भाव को मिटा, इस सकल संसार से. तेरा नित सुमिरन करें, मिल-जुल सारे प्यार से, मानव से मानव हो ना जुदा... आंगन- 2 झोलियां सभी की तु, रहमों करम से भर भी दे, पीर-पर्वत हो गई, अब कृपा कर भी दे, मांगे तुझसे ये ही दुआ... आंगन-2 कोई मन से है दुखी, कोई तन से है दुखी, ऐसा करो, कुल जहान हो सुखी, सुखमय जीवन सबका सदा... बरसा पारस.. 50

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