Book Title: Jain Bhajan Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 41
________________ निश्चय और व्यवहार निश्चय को लक्ष्य मानो, व्यवहार पर चलो तुम। छोडो बुरे करम सब , अच्छे करम करो तुम। प्रक्षाल भजन,पुजन जप आदि है शुभ साधन । शुभ साधनोसे अपना जीवन निर्मल करो तुम।।1 मार्दव,क्षमा व आर्जव और सत्य ,दान,संयम, इन सारे सदगुणोपर शुभ आचरण करो तुम॥2 सदसाधनोके व्दारा, निश्चयको प्राप्त कर लो। पा निश्चय आत्मका, फिर चितवन करो तुम।।3 निज परका भेद एक दिन, आ जायेगा समझमे। जो पर है उसे छोडे, निजका वर्णन करो तुम।।4 व्यवहार बिना जगमे चलना चेतन कठिन है। निश्चय न मिले तब तक , व्यवहार पर चलो तुम ॥5 जय जिनेन्द्र 41

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