Book Title: Jain Bhajan Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 42
________________ मै क्या करु, - संगम मै क्या करु वीर, इस जगमे फंस गया होय, होय जग में फंस गया। जो ही चाहा भागना, मोह डोरी ना टुटगई, नश्वर जग माया से मेरी, ममता ही छुट्टी नही, प्रभु हमे " इस जग मे फंस गया | मै क्या करु ॥1 झुठे है यह रिश्ते नाते, झूठा यह संसार है, सुख के साथी, सब केवल दुख का नही यार है, मै हो गया अधीर, इस जगमे फंस गया। मै क्या करु वीर ॥2 नाम तेरा, ध्यान तेरा 2 दिल से भुला दिया कर्मने ऐसे दुष्ट मुझे, भव भव मे रुला दिया, “पार्श्व ” काटो अब जंजिर, 9 इस जग में फंस गया || मै क्या करु वीर ॥3 जय जिनेन्द्र 42

Loading...

Page Navigation
1 ... 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78