Book Title: Jain Bhajan Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 7
________________ मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा यह हो वो जहाज जिसने लाखों को तार णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं अरिहंतों को नमन हमारा, अशुभ धर्म अरि हनन करें सिद्धों के सुमिरन से आत्मा सिद्ध क्षेत्र को गमन करे भव भव में ना हो जनम दोबारा, मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा... आचार्यों के आचारों से निर्मल निज आचार करें उपाधयाय को ध्यान धरें हम संवारता सत्कार करें सर्व साधू को नमन हमारा, मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा... णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं सोते उठते, चलते फिरते इसी मंत्र का जाप करे ताप हमारे तो उनका भी छेदअपने आप करें इसी मंत्र का लेलो सहारा, मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा...

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