Book Title: Jain Agam Sahitya Author(s): K R Chandra Publisher: Prakrit Text Society AhmedabadPage 12
________________ गाँधीजी और कस्तूरभाई का एक आयोग बनाया गया । प्रारम्भ में दोनों के बीच मतभेद उत्पन्न हो गया परन्तु अन्त में दोनों किसी एक विकल्प पर सहमत हो गये। इन सब कार्यो में कस्तरभाई की निर्भीकता, साहस और योग्यता के दर्शन होते हैं। सन् १९२९ में उन्होंने जिनेवा की मजदूर परिषद् में मजदूरों के प्रतिनिधि के रूप में और सन् १९३४ में उद्योगपतियों के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया था। स्वतन्त्रता की प्राप्ति के बाद भी इसी प्रकार के अनेक प्रतिनिधि मण्डलों में उन्होंने भाग लिया था । इन सब प्रसंगों पर देश के हित को ही सर्वोपरि मानकर वे विदेशियों के साथ की चर्चाओं में विलक्षण बुद्धि और कुशलता का परिचय देते थे । .: शिक्षा एवं संस्कृति के क्षेत्र में उनका योगदान अत्यन्त महत्वपूर्ण रहा है। अहमदाबाद की एजुकेशन सोसायटी के आयोजक वे ही थे जिसकी स्थापना सन् १९३४ में हुई थी। नगर के भावी शैक्षणिक विकास को लक्ष्य में रखकर उन्होंने ७० लाख रूपये व्यय करके छ सौ एकड जमीन संपादित करवाई थी जिसके परिणामस्वरूप गुजरात विश्वविद्यालय का भव्य और विशाल संकुल अस्तित्व में आया । उनके परिवार की ओर से एल. डी. आर्टस् कॉलेज, एल. डी. इन्जिनीयरिंग कॉलेज तथा एल. डी. प्राच्य विद्या मन्दिर को लाखों रूपये दान में दिये गये । विगत तीस-तीस वर्षो में लालभाई दलपतभाई परिवार ट्रस्ट की ओर से दो करोड' पचहत्तर लाख का और अपने ही उद्योग गृहों की ओर से चार करोड का दान दिया गया । कस्तूरभाई को शिक्षा के प्रति कितनी रुचि थी इसका अनुमान उनके इन सब कार्यो से लगाया जा सकता है। यदि ऐसा न होता तो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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