Book Title: Jain Agam Sahitya Author(s): K R Chandra Publisher: Prakrit Text Society AhmedabadPage 11
________________ (७) रायपुर मिल में टाइमकीपर, स्टोरकीपर आदि से कार्य प्रारम्भ किया और बाद में मिल के संचालन विषयक सभी कार्यों में योग्यता अर्जित करके अपनी तेजस्वी बुद्धि एवं कार्य-कुशलता से उसे भारत की प्रसिद्ध एवं अग्रगण्य कपडा-मिलों की श्रेणी में लाकर रख दिया । उसके बाद अशोक-मिल, अरुण-मिल, अरविंद-मिल, नूतन-मिल, अनिलस्टार्च और अतुल संकुल आदि अनेक उद्योग-गृहां की सन् १९२१ से १९५० के बीच स्थापना करके लालभाई-ग्रुप को देश के अग्रगण्य उद्योगगृहों में प्रतिष्ठित कर दिया । व्यावसायिक कार्यो के साथ-साथ कस्तूरभाईने अपने पूज्य पिताजी की तरह लोक-कल्याण के कार्यों में भी बड़े उत्साह से भाग लिया । सन् १९२१ में अहमदाबाद नगरपालिका के अध्यक्ष के निर्देश से उन्होंने और उनके अन्य भाइयोंने नगरपालिका की प्राथमिक शाला को ५० हजार का दान दिया था । सन् १९२१ के दिसम्बर माह में जब भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस का अधिवेशन अहमदाबाद में हुआ तब पंडित मोतीलाल नेहरु के साथ उनका मैत्री सम्बन्ध हुआ। १९२२ में सरदार वल्लभभाई पटेल की सलाह से वे भारतीय संसद में मिल मालिकों के प्रतिनिधि के रूप में चुने गये । १९२३ में जब स्वराज पक्ष की स्थापना हुई तब अहमदाबाद तथा बम्बई के मिल-मालिकोंकी ओर से उसे पाँच लाख का दान दिलवाया था। संसद में वस्त्र पर चुंगी समाप्त करने का प्रस्ताव कस्तूरभाईने रखा था और शासन की अनेक विघ्न-बाधाओं के बावजूद भी उसे स्वीकार करवा लिया। स्वराज पक्ष के सदस्य नहीं होने पर भी कस्तूरभाई को पं. मोतीलालजीने स्वराज-श्रेष्ठ की उपाधि प्रदान की थी। लम्बे समय से चल रहे मिल-मजदूरों के बोनस एवं वेतन सम्बन्धी वाद-विवाद को निपटाने के लिए सन् १९३६ में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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