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चिंता छोड़ो और अपने जीवन में गुणों को लाने का प्रयास करो। जैसे-जैसे गुण आते चले जायेंगे, अवगुण अपने आप कम होते चले जायेंगे । अंधकार को भगाना हो, तो दो-चार दीये जलाओ, अपने आप अंधकार मिटेगा । अपने जीवन में गुण लाओ, अवगुण अपने आप मिटेंगे । ऐसे तो कितने अवगुणों का प्रायश्चित करोगे, कितने अवगुणों का दुःखड़ा रोओगे। जो है, सो है। हम अंधेरे को न कोसें, अपने जीवन में सद्विचारों के, सद्विवेक के, सद्भावनाओं के दीप जलाएं। वे दीप अपने आप ही भीतर के तमस को दूर करेंगे, अंधेरे को भगाएंगे ।
ये कुछ ऐसे सूत्र हैं, जो हमारे लिए सार्थक हो सकते हैं, जो हमारी अंतःकरण की शुद्धि में मददगार हो सकते हैं। स्वयं को जानना सबसे बड़ा पुण्य है और स्वयं से अनजान बने रहना सबसे बड़ा पाप है । पाप से पुण्य की ओर बढ़ना अच्छा है: पुण्य से निर्वाण की ओर, मुक्ति की ओर बढ़ना और भी अच्छा है । अच्छा होगा हम अपने जीवन में गुणों को बढ़ायें, ताकि अवगुण अपने आप समाप्त हो जायें, नष्ट हो जायें । प्रकाश स्वयं तमस की कारा को काटेगा, स्वतन्त्रता का रसास्वाद कराएगा ।
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आत्मज्ञान का रहस्य | 187
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