Book Title: Indriya Parajay Shatak Author(s): Buddhulal Shravak Publisher: Nirnaysagar Press View full book textPage 5
________________ (२) उपदेशकों, शिक्षकों और विद्यार्थियोंसे हम आग्रह करते हैं कि, वे इस पुस्तकसे अवश्य लाभ लेवें और हमारा परिश्रम सफल करें । बालकोंके सुकोमल हृदयमें प्रारंभसे ही वैराग्य और ब्रह्मचर्यका अंकुरारोपण होजावे, इस लिये दिगम्बर श्वेताम्बर और अन्य धर्मावलम्बियोंकी पाठशालाओंमें यह ग्रंथ पढ़ाया जावे, तो भी अधिक लाभकी संभावना है। ग्रंथ और स्वाध्यायका मुख्य तात्पर्य्य अपने और दूसरोंके आत्माको मिथ्यात्व अज्ञान और कषायसे बचाकर सम्यक्चारित्र ग्रहण करानेका है आशा है कि, सुज्ञ पाठकगण हमारे इस छोटेसे निवेदनपर अवश्य ध्यान देंगे। पुद्गल वर्गणाएं स्वभावसे ही वर्ण शब्दादिरूप परिणमन करती हैं, इस लिये इस ग्रंथके प्रकाशित करनेमें यद्यपि मेरी कुछ भी करतूति नहीं हैं, तो भी यह लिखना आवश्यक है कि, धर्म और समाजकी इस प्रकार सेवा करनेका मुझे यह प्रायः पहिलाही अवसर है । इस लिये इसमें अनेक त्रुटियां होनेकी संभावना है। उन्हें विचारशील पाठक मुझे बालक जान क्षमा करेंगे । और पत्रद्वारा सूचना देकर अपनी सज्जनताका परिचय देंगे. जिससे द्वितीयसंस्करणमें त्रुटि निवारण करनेकी चेष्टा की जासके। भवदीय बुद्धलाल श्रावक, अध्यापक श्रीजैनअनाथाश्रम, हिसार (पंजाब),Page Navigation
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