Book Title: Indriya Parajay Shatak
Author(s): Buddhulal Shravak
Publisher: Nirnaysagar Press

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Page 13
________________ (८) तोटक। वश लालचके कहु को न मस्यौ? । यमके मुखमें कहु को न पस्यौ? ॥ किनको चित कामिनि नाहिं हस्यौ? । किनने न विषैअनुराग कस्यौ? ॥ २३ ॥ ___उपजाति छन्द । खणमित्त सुक्खा बहुकाल दुक्खा । पगाम दुक्खा अणिकाम सुक्खा ॥ संसारमोक्खस्स विपक्खभूआ। खाणी अणत्थाणउ कामभोगा॥ २४ ॥ तोटक। छिनकौं कनसे सुखदायक हैं। चिरकाल घने दुखदायक हैं । शिव मारगमें दृढ़ घायक हैं। भवभोग अनर्थसहायक हैं ॥ २४ ॥ आर्या । सव्वगहाणं पभवो, महागहो सव्वदोसपायड्डि । कामग्गहो दुरप्पा जेणभिमूअं जगं सव्वं ॥२५॥ जह कच्छुल्लो कच्छू कंडुअमाणो दुहं मुणइ सुक्खं। मोहाउरा मणुस्सा तह कामदुहं सुहं विंति ॥२६॥ १ बहुत ही थोड़े (कणके बराबर)।

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