Book Title: Indriya Parajay Shatak
Author(s): Buddhulal Shravak
Publisher: Nirnaysagar Press
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(१९) भयवं जा सा सासा पचाएसो हु इणमो ते ॥५॥ जललवतरलं जीयं अथिरा लच्छी विभंगुरो देहो। तुच्छा यकामभोगा णिबंधणंदुक्खलक्खाणं॥५०॥
दोहा।
जीवन जीवन-बुदबुदा, चपल चंचला जान । देह अथिर पोचे विषय, सत सहस्र दुखदान ॥५८॥
इन्द्रवज्रा। णागो जहा पंकजलावसण्णो दटुं थलं णाभिसमेइ तीरं। एवं जिआ कामगुणेसु गिद्धा सुधम्ममग्गे ण रया हवंति ॥ ५९॥
तोटक। जलपंकविष करिराज परै। थल देखत पै तट नाहिं धरै ॥ जिय त्यों विषयानिमें पागत है। सनमारगमें नहिं लागत है ॥ ५९॥
आर्या। जह विट्टपुंजखुत्तो, कीमि सुहं मण्णए सयाकालं। तह विसयासुइरत्तो, जीवोवि मुणइ सुहं मूढो॥६०॥ १ पानी (जीवन, पानीके बुदबुदेके समान है)। २ लक्ष्मी। ३ हाथी।

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