Book Title: Ek Safar Rajdhani ka
Author(s): Atmadarshanvijay
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 4
________________ आभार... समयकी संक्षिप्ता होते हुए भी मेरी विनंतीको स्वीकार कर प्रस्तुत पुस्तक का सूक्ष्म निरीक्षण किया और इच्छाकार सामाचारीको जो तरीकेसे मान दिया इसके लिए पू. पंन्यास श्री अभयशेखर वि. गणि का मैं आभारी रहूँगा । आपश्रीने कितने सूचन किये, जो सुधार लिया, और सूचना अनुसार कथा वस्तु स्वयं देख लेनेके लिए आपने मेरा ध्यान दौरा। कथामें अनेक मतांतर तो रहेगा ही, कितनी कथाएँ ग्रंथ-आधरित होती हैं तो कितनी परंपरागत होती हैं । कथाको मुख्य न रखते हुए कथा-सारको लक्ष्यमें रखकर तद्नुरूप प्रयत्नशील बनें, ऐसी वाचकगणके पास रखी हुई अपेक्षा अस्थाने नहीं गिनी जायेगी...। तदुपरांत घटनाएँ सत्य होते हुए भी घटनाओंको रससभर बनाने के लिए कितने घटनास्थलोंको कल्पनाकी कलमसे आलेखित किया है । जैसे कि जंबूकुमारकी घटना सच होते हुए भी 'जंबूमहल'' काल्पनिक है। हो सकता है कि "जंबू-महल'' उस समयमें इसमे भी विशिष्ट हो... या न भी हो... इसी तरह मेतार्य, अनाथी मुनि आदि घटनास्थलोंके स्तूपके लिए समझ लेना। शास्त्रज्ञोंके हेतु विरुद्ध कहीं भी लिखा हो तो सादर विनम्रभाव सह "मिच्छामि-दुक्कडं' - आत्मदर्शन विजय - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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