Book Title: Ek Safar Rajdhani ka
Author(s): Atmadarshanvijay
Publisher: Diwakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 42
________________ मगध-प्रसिद्ध मंदिरमें.... छा गई। दोनोंने भावविभोर बनकर चैत्यवंदन किया। N Y ज दूसरे दिन भी कौमुदी महोत्सव आ यथावत् चालू था। नगरके बाहर मेलेमें धीमी-सी जनताकी हलचल शुरु हुई थी। प्रात:कार्य पूर्ण करके सुबहमें ही संजू राजूके वहाँ पहुँच गया। आज नगरके तृतीय महाद्वारकी ओर जाना था। और वहाँ द्वारके पास से बारह मास बहती नदीके किनारे तक पहुंचना था। मेला भी वही किनारे पर लगा हुआ था। ___ आवस्सही बोलकर जिनालयसे बाहर निकले। बाद संजूको उद्देश्यकर राजू बोला... संजू ! वर्तमान चोबीसी बीसवें तीर्थकर श्री मुनिसुव्रतस्वामीके निर्वाण (कल्याण भूमि सिवा च्यवन, जन्म, दीक्षा और कैवल्य.... यह चा चार कल्याणक इसी राजगृह नगरमें हुए हैं....। अपनी राजधा मात्र महावीरदेवकी विहारमूमि ही नहीं परंतु कल्याणकभ भी है..... | और मुनीसुव्रतस्वामीके समयमें हुए श्री सि चक्रजीके महान आराधक श्रीपाल और मयणासुंदरी रसभरी कथा गौतमस्वामी महाराजने श्रेणिक आदि स समक्ष इसी नगरीमें ही कही थी न ? इस प्रकार नयी-पुरानी बातें करते करते मेलेकी जा रही जनसमूहकी भीडके साथ साथ राजू और संजू अ बढे। जाते जाते वे एक जगहपर आ पहुँचे......जो मात्र मगध ही नहीं, पूरे विश्वकी अजायबी कहने योग्य थी। इस दिशाके राजमार्ग पर नजदीक ही एक जिनमंदिर था। जो पूरे मगधमें प्रसिद्ध था। राजा श्रेणिकने भारीरूपमें संपत्ति खर्च करके इसकी मरम्मत भी कराई थी। इस जिनमंदिरके अंदर बीसवें तीर्थकर श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवंतकी प्राचीन और भव्य मूर्ति थी। मित्रबेलडी सबसे प्रथम इस जिनालयके दर्शनार्थ पहुँची ! इस सुविशाल जिनालय और मनोहर जिन बिंबके दर्शनसे इनके दिलमें भारी प्रसन्नता विश्वकी अजायबी : जंबू महल..... लेके कारण इस महलके अंदर आज खास भीड नहीं थी......जोकियह महल आज तो राजाकी सत्तामें था। इसके ऊपर चौकीदारका पहरा था। चौकीदार? संजू बोल उठा.....I ) प्रकाश फैला दुआ था। इस महलकी छत पर स्वर्ण-पत्र जा । हुआ था..... दीवार मूल्यवान मणियोंसे अंकित थी.... इसा । पूरा भूमितल चाँदीके स्तंभोंसे जडित था। मित्रयुगल महला । दुसरे खंडमें जा पहुँवा । जो खंड जंबूकुमारके जीवनचरित्र । आलेखित किये हुए अनेक सुंदर चित्रपटोंसे सुशोभित था । स्वर्ण-पट्टियोंसे जडित इस चित्रपटको दिवारके उपरके भार लगा दिया था। राजूने कहा : हाँ... चौकीदारका पहरा ! संजू बोला : ऐसा क्या है इस महलमें? चल..... हम अंदर चलेंगे। दोनों मित्र अंदर प्रविष्ट हुए। सर्वत्र मणिरलोंका सेवामें नियुक्त (किये) एक राजसेवकने एक-ए. चित्रपटका सुंदर शब्दोमें दर्शन करवाया। 36 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary

Loading...

Page Navigation
1 ... 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72