Book Title: Ek Safar Rajdhani ka
Author(s): Atmadarshanvijay
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 69
________________ "राजगृह'" नाम कैसे हुआ ? सं जूको अचानक ही कुछ याद आया । उसने पूछा राजू ! राजधानीका "राजगृह'" ऐसा नाम कैसे हुआ राजू बोला.... संजय ! प्राचीन कालमें क्षिति-प्रतिष्ठित नगरमें जितशत्रु राजा | राज्य करता था। परंतु वह नगर जीर्ण हो जानेसे राजाने वास्तु शास्त्रज्ञोंको अन्य स्थलकी खोज के लिए कहा । | इन्होंने एक जगह पर बहुत ही पुष्प और फलोंसे युक्त एक | चनेका खेत देखा। वह भूमि पसंद की और राजाने वहाँ चणकपुर नगर बसाया। क्रमश: वह नगर भी क्षीण हुआ। फिरसे राजाने वास्तु- पाठकों को नई जगह खोजनेके लिए आदेश किया। जगह शोधते शोधते जंगलमें एक बैल देखनेमें आया । जो दूसरे अनेक बैलोंसे अपराजित था। अर्थात् बहुत बलवान | था । वास्तुज्ञोंसे सूचित उस जगह पर राजाने वृषभपुर नगर | बसाया। कालक्रम से वह नगर भी उजड़ बना। फिरसे नया नगर बसानेकी राजाने सूचना की। खोजते खोजते एक जगह अति सुंदर और प्रमाणोपत आकृतिवाला एक कुश (वनस्पति) | का छोर देखने में आया । वास्तुपाठकोने वह जगह राजाको | दिखायी। राजाने वहाँ कुशाग्रपुर नगर बसाया। कराई कि जिस घरमें आग लगेगी वह घरकी व्यक्तियोंको नगर बाहर छोड़ दिया जायेगा । परंतु बना ऐसा कि रसोइयोंके प्रमादसे एकबार राजमहलमें ही आग लगी। वह समयके राजा "प्राण जाय पर वचन न जाय' ऐसी सत्यप्रतिज्ञावाले थे। प्रसेनजित राजाने सोचा - मैंने किया हुआ नियमका पालन मैं ही नहीं करूँ तो प्रजा वह नियम कैसे पालन करेगी ? तुरंत ही राजा नगरमेंसे निकलकर एक गाऊ दूर आवास करके रहा..... अब राजाको मिलने तो कितने लोग आते... सुभट-कोटवालव्यापारी-सेठ साहूकार आदि... एक आये और एक जाये.... सामने जो मिले उनको पूछनेमें आये - कहाँ गये थे। राजगृहे... (राजा के घर) कहाँ जा हो ? राजगृहे करते-करते वहाँ जो नगर बसा उसका नाम ही "राजगृह' हो गया। संजू ! जब राजमहलमें आग प्रगटी तब जिसको जो प्रिय था उसे लेकर सब झटपट बाहर निकल गये। किसीने घोड़ा लिया तो किसीने हाथी लिया तो किसीने हीरे माणिक और मोती लिये। उस वक्त प्रसेनजित राजाने राजकुमार श्रेणिकको पूछा कि तूने क्या लिया ? श्रेणिकने कहा - भंभा (वाजिंत्र ) ! श्रेणिकको भंभा खूब पसंद थी। राजा प्रेमसे बोला • बेटा ! तुझे भंभा अच्छी लगती है। लो तब तुम्हारा नाम "भंभासार"... ऐसे राजा श्रेणिकका दूसरा नाम "भंभसार" भी था। For Private & Personal Use Only 63 - I परंतु उस नगरमें बार-बार आग लगने लगी । वहाँ प्रसेनजित राजा राज्य कर रहा था। उसने नगरमें घोषणा. Jain Education International www.jainelibrary.org

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