Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 5 Author(s): Pandurang V Kane Publisher: Hindi Bhavan LakhnouPage 14
________________ ११५०-११८० (ई० उ०) ११५०-~१२०० ११५०-१३०० (ई० उ०) ११५० --१३०० (ई० उ०) १२००-१२२५ (ई० उ०) ११७५---१२०० (ई० उ०) १२६०-१२७० १२००-१३०० (ई० उ०) १२७५---१३१० (ई० उ०) १३०० – १३७० (ई० उ०) १३०० --१३८० (ई० उ०) १३००--१३८० (ई० उ०) १३६०--१३६० (ई० उ०) १३६७-१४४८ (ई० उ०) हारलता एवं पितृदयिता के प्रणेता अनिरुद्ध भट्ट । श्रीधर का स्मृत्यर्थसार। मनुस्मृति के टीकाकार कुल्लूक। गौतम एवं आपस्तम्बधर्मसूत्रों तथा कुछ गृह्यसूत्रों के टीकाकार हरदत्त । देवण्ण भट्ट की स्मृतिचन्द्रिका। धनञ्जय के पुत्र ,एवं ब्राह्मणसर्वस्व के प्रणेता हलायुध । हेमाद्रि की चतुर्वर्गचिन्तामणि। वरदराज का व्यवहारनिर्णय । पितभक्ति, समयप्रदीप एवं अन्य ग्रन्थों के प्रणेता श्रीदत्त । गृहस्थरत्नाकर, विवादरत्नाकर, क्रियारत्नाकर आदि के रचयिता चण्डेश्वर। वैदिक संहिताओं एवं ब्राह्मणों के भाष्यों के संग्रहकर्ता सायण । पराशरस्मृति की टीका पराशरमाधवीय तथा अन्य ग्रन्थों के रचयिता एवं सायण के भाई माधवाचार्य। मदनपाल एवं उसके पुत्र के संरक्षण में मदनपारिजात एवं महार्णवप्रकाश संगृहीत किये गये। गंगावाक्यावली आदि ग्रन्थों के प्रणेता विद्यापति के जन्म एवं मरण की तिथियाँ। देखिये, इण्डियन ऐण्टीक्वेरी (जिल्द १४, १० १६०-१६१), जहाँ देवसिंह के पुत्र शिवसिंह द्वारा विद्यापति को प्रदत्त विसपी नामक ग्रामदान के शिलालेख में चार तिथियों का विवरण उपस्थित किया गया है (यथा शक १३२१, संवत् १४५५, ल० स० २८३ एवं सन् ८०७)। . याज्ञवल्क्य की टीका दीपकलिका, प्रायश्चित्तविवेक, दुर्गोत्सवविवेक एवं अन्य ग्रन्थों के लेखक शलपाणि । विशाल निबन्ध धर्मतत्त्वकलानिधि (श्राद्ध, व्यवहार आदि के प्रकाशों में विभाजित) के लेखक एवं नागमल्ल के पुत्र पृथ्वीचन्द्र । तन्त्रवार्तिक के टीकाकार सोमेश्वर की न्यायसुधा। मिसरू मिश्र का विवादचन्द्र । नसिंह देव मदराजा द्वारा संगृहीत विशाल निबन्ध मदनरत्न। शुद्धिविवेक, श्राद्धविवेक आदि के लेखक रुद्रधर। शुद्धिचिन्तामणि, तीर्थचिन्तामणि आदि के रचयिता वाचस्पति । दण्डविवेक, गंगाकृत्यविवेक आदि के रचयिता वर्षमान। दलपति का व्यवहारसार जो नृसिंहप्रसाद का एक भाग है। दलपति का नृसिंहप्रसाद, जिसके भाग हैं-श्राद्धसार, तीर्थसार, प्रायश्चित्तसार आदि। १३७५-१४४० (ई० उ०) १३७५--१५०० (ई० उ०) १४००-१५०० (ई० उ०) १४००- १४५० (ई० उ०) १४२५–१४५० (ई० उ०) १४२५-१४६० १४२५-१४६० (ई० उ०) १४५०--१५०० (ई० उ०) १४६०-१५१२ (ई० उ०) १४६०-१५१५ (ई० उ०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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