Book Title: Dashvaikalik Sutra Author(s): Somchandrasuri Publisher: Rander Road Jain Sangh View full book textPage 6
________________ ध्यानी हाश समाश है यानी होश रहती संयमघर संयम साधनांनी साथ साथ स्वाध्याय संशोधन જ્ઞાન ધ્યાનમાં આગળ વધે સાથ સાથ परमात्मनी पाणी ने यात्म सात हुई त भारे सरण यन सोदार सूत्र मास तो ते श्रादृशपेकासिर्फ सूत्र भने तना उपर स्थायस श्रीतिसका शार्थना वृत्ति तनु संपाहन संशोधन क्शत वि-सामसंह सूरि मुनि किनेशचंद्र विषये अर्थतशत तयो भने निश्रा पर्ति बघा साधुयो प्रमाद छोड भाषा अर्थ मां प्रवृत बने तक यलिसाक्षर सिंन्याशांइदि Jain Education International For Personal & Private Use Only - www.jainelibrary.orgPage Navigation
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