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नील-गगन सम वर्ण है, नेमिनाथ भगवान। करता पूजन नियम से, कर दो मम कल्याण।। ऊँ ह्रीं श्री नेमिनाथजिनेन्द्राय नमः (5 जाप)
जयमाला धन्य-धन्य हो नेमि जिनेश्वर, राग-रंग को त्याग किया। राजुल तजकर राज-पाट को, आतम से अनुराग किया।।1।।
भव दुःख-हारक भविजन-तारक, रत्नत्रय को धार लिया। चढ़कर गिरि गिरनार शिखर पर निज-पर का उद्धार किया।।2।।
अतिशयकारी महिमा भारी, नेमि जिनेश्वर देख जरा। लखकर भविजन निश्चित कहते आत्म ध्यान तू धार खरा।।3।।
चन्द्रगिरि पर चढ़ देखो, नेमगिरी को अहो जरा। निश्चित दिखती नेमगिरी है, समवशरणसम वीर खरा।।4।। भविजन नितही नेमिनाथ को मन-वचन-तन से नमन करो। वंदन-पूजन करके तुम तो, उनके गुण में गमन करो।।5।। शिव-सुख-वश मैं पूजन करके भव-दुःख को ही हरता हूँ। तन को तजकर नेमिनाथ-सम चिन्मय मैं भी बनता हूँ।।6।।
(घत्ता) नेमिनाथ जिन नित नमूं निर्मल मन-वच-काय।
भवदुःख-बाधा दूर कर शीघ्र बनूँ जिनराय।। ऊँ ह्रीं नेमगिरीगुफास्थित-नेमिनाथजिनेन्द्राय जयमाला-पूर्णाध्य निर्वपामीति स्वाहा।
॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥
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