Book Title: Chovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown
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बहुफूल सुवासं, विमलप्रकाशं, आनन्दरासं, लाय धरै । मम काम मिटायो, शील बढ़ायो, सुख उपजायो, दोष हरै ॥ तीर्थंकर की धुनि, गनधर ने सुनि, अंग रचे चुनि, ज्ञानमई ।
सो जिनवर वानी, शिवसुखदानी, त्रिभुवन मानी पूज्य भई ॥ ॐ ह्रीं श्रीजिनमुखोद्भवसरस्वतिदेव्यै कामबाणविध्वंसनाय पुष्पाणि निर्वपामीति स्वाहा ।
पकवान बनाया, बहुघृत लाया, सब विधि भाया, मिष्ट महा।
पूनँ थुति गाऊँ, प्रीति बढ़ाऊँ, क्षुधा नशाऊँ, हर्ष लहा॥ तीर्थंकर की धुनि, गनधर ने सुनि, अंग रचे चुनि, ज्ञानमई।
सो जिनवर वानी, शिवसुखदानी, त्रिभुवन मानी पूज्य भई ॥ ॐ ह्रीं श्रीजिनमुखोद्भवसरस्वतिदेव्यै क्षुधारोगविध्वंसाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा ।
करि दीपक ज्योतं, तम छय होतं, ज्योति उद्योतं, तुमहिं चढ़े। तुम हो परकाशक भरमविनाशक, हम घटभासक ज्ञान बढ़े ॥ तीर्थंकर की धुनि, गनधर ने सुनि, अंग रचे चुनि, ज्ञानमई ।
सो जिनवर वानी, शिवसुखदानी, त्रिभुवन मानी पूज्य भई ॥ ॐ ह्रीं श्रीजिनमुखोद्भवसरस्वतिदेव्यै मोहान्धकारविनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा।
शुभगंध दशों कर, पावक में धर, धूप मनोहर, खेवत हैं। सब पाप जलावै, पुण्य कमावै, दास कहावें, सेवत हैं। तीर्थंकर की धुनि, गनधर ने सुनि, अंग रचे चुनि, ज्ञानमई।
सो जिनवर वानी, शिवसुखदानी, त्रिभुवन मानी पूज्य भई ॥ ॐ ह्रीं श्रीजिनमुखोद्भवसरस्वतिदेव्यै अष्टकर्मदहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा ।
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