Book Title: Chovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 796
________________ अथ जयमाला - पद्धरि छंद श्री आदीश्वर वंदौं महान, कैलाश शिखर तें मोक्ष जान। चंपापुर तें श्री वासुपूज्य, तिन मुक्ति लही अति हर्ष हूज्य गिरिनार नेमजी मुक्ति पाय, पावापुर तें श्री वीर राय। सम्मेद शिखर श्री मुक्ति द्वार, बीस जिनेश्वर मोक्षधार।। सोनागिर साढ़े पांच कोडि, तुंगीगिरि राम हनू सुजोडि। निन्याणव कोडि मुक्ति मंझार, तिनिके हम चरण नमें त्रिकाल वरदत्तादि वरंग मुनेन्द्र चंद्र, तहां सायरदत्त महान विंद तारवरनयर मोक्ष पाय, तिनिके चरननि हम सिर नमाय ।। शम्भू प्रद्युम्न अनिरुद्ध भाय, गिरिनार शिखर तें मोक्ष पाय । बहत्तर कोडि सौ सात जान, तिनका मैं मन वच करूं ध्यान ।। श्रीरामचंद्र के दोइ पूज, अरु पांच कोडि मुनि सहित हूत । लाड नरिंद इत्यादि जान, श्री पावागढ़ तें मोक्ष थान ।। श्री अष्ट कोडि मुनिराज जान, पांडव त्रय बडि राजा महान श्री शत्रुंजयतें मुक्ति पाय, तिनि को मैं वंदौं सिर नमाय। गजपंथ शिखर जग में विशाल, मुनि आठ कोडि हूजे दयाल | बलभद्र सात मुक्ति सुजाय, तिनिको हम मन वच शीष नाय।। रावणके सुत अरु पांच कोडि, पंचास लाख ऊपरि सु जोडि । रेवा तट तें तिन मुक्ति लीन, करि शुक्ल ध्यान तें कर्म क्षी || द्वै चक्रवर्ति दश कामदेव, आहूत कोडि मुनिवर सुएव। रेवा के पच्छिम कूट जानि, तिन वीर मुक्ति वसुकर्म हानि ॥ दक्षिण दिश में गिरि चूल जानि, तहां इन्द्रजीत कुंभकरण मानि। ते मुक्ति गए वसु कर्मजीत, सो सिद्धक्षेत्र वंदौं विनीत।। पावागिर शिखर मंझार जान, तहां सवर्णभद्र मुनि चार मान । तिन मुक्तिपुरी को गमन कीन, शिवमारग हमको सोधि दीन ।। फल होड़ी बड़गांव सु अनूप, पश्चिम दिसि द्रोणगिरि रूप। 796

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