Book Title: Chovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 794
________________ चेलना नदी के तीर व पावाशिखर जी। स्वर्णभद्र मुनि चार, बड़ी है ऋद्धि जीं। तहां तें परम धाम के सुख को पाय के। तिनि के चरण जजौं मैं मन वच काय से। भवदधि उतरौं पार शरण तुम आया । ॐ ह्रीं चेतना नदी के तीर पावागिरि शिखर सेती स्वर्णभद्रादि चार मुनि मुक्ति पधारे तिनि को अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।61 फल होड़ी बड़गांव अनूप जहां बसे। पच्छिम दिसि में द्रोण महा पर्वत लसे।। गुरुदत्तादि मुनीश्वर शिव को पाय के। तिनि के चरण जजौं मैं मन वच काय से। भवदधि उतरौं पार शरण तुम आय। ऊँ ह्रीं फलहोड़ी बड़गांव की पश्चिम दिशा में द्रोणगिरि पर्वत सेती गुरुदत्तादि मुनि मुक्ति पधारें तिनि को अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।1 71 व्याल महाव्याल मुनीश्वर दोय हैं। नागकुमार मिलाय तीन ऋषि होय हैं।। श्री अष्टापद शिखर तें मुक्ति में जाय जी। तिनि के चरण जजौं मैं मन वच काय से। भवदधि उतरौं पार शरण तुम आय।। ॐ ह्रीं श्रीअष्टापद सेती बाल महाबाल नागकुमार तीन मुनि मुक्ति पधारे और वहां तै और मुनि मुक्ति पधारे होहिं तिनि को अध्यं निर्वपामीति स्वाहा। 181 अचलापुर की दिशि ईशान महा बसे। तहां मेढ़गिरि शिखर महा पर्वत लसे।। तीन कोडि अरु लाख पचास महामुनी। मुक्ति गये धरि ध्यान काम अरि तिन हनी।। तिनि के चरण जजौं मैं मन वच काय से। भवदधि उतरौं पार शरण तुम आय। ॐ ह्रीं अचलापुर की ईशान दिशा मेढ़गिरि (मुक्तागिरि) पर्वत के शिखर सेती साढे तीन कोडि मुनि मुक्ति पधारे तिनि को अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।191 वंशस्थल वन पश्चिम कुंथ पहार है। कुलभूषण देशभूषण मुनि सुखकार हैं।। तहां तें शुक्ल ध्यान धरि मुक्ति में जाय जी।तिनि के चरण जजौं मैं मन वच काय से। भवदधि उतरौं पार शरण तुम आय। ऊँ ह्रीं वंशस्थल वन की पश्चिमदिशा में कुंथलगिरि शिखर सेती कुलभूषण देशभूषण मुनि मोक्ष पधारे तिनि को अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।200 794

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