Book Title: Chovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 792
________________ नंगानंग कुमार दोय राजकुमार जू। मुक्त गये सोनागिर जग हितकार जू। साढ़े पाँच कोडि गये शिवराजजी। पूजौं मन वच काय लहौं सुखसार जी।। ऊँ ह्रीं सोनागिरि पर्वतसेती नंगानंग कुमारादि साढ़े पांच कोडि मुनि मुक्ति पधारें तिनि को अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।6। राम हनु सुग्रीव नील महानील जी। गवय गवाक्ष इत्यादि गये शिवतीर जी।। कोडि निन्यानवे मुकति तुंगीगिर पाय जी। तिनि के चरण जजौं मैं मन वच काय से।। ऊँ ह्रीं तुंगागिरि पर्वत सेती श्रीरामचन्द्र-हनुमान-सुग्री-नील-महानील-गवय-गवाक्ष इत्यादि निन्यानवे कोडि मुनि मुक्ति पधारे तिनि को अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।7। वरदत्तादि वरंग मुनीन्द्र सुगम जी। सायरदत्त महान महा गुणधाम जी।। तारवत नगरतें मुक्ति गये सुखदाय जी तीन कोडि अरु लाख पचास सगाय जी।। तिनि के चरण जजौं मैं मन वच काय से। भवदधि उतारौं पार शरण तुम आय के।। ॐ ह्रीं तारवरनगर सेती श्रीवरदत्तादि साढ़े तीन कोडि मुनि मुक्ति पधारे तिन को अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।8। श्री गिरनार शिखर जग में विख्यात है। कोटि बहत्तर अधिकै अरु सौ सात है।। शंभु प्रद्युम्न अनिरुद्ध मुक्ति को पाय जी।। तिनि के चरण जजौं मैं मन वच काय से। भवदधि उतरौं पार शरण तुम आय। ॐ ह्रीं श्रीगिनार शिखर सेती शंभु कुमार प्रद्युम्नकुमार अनिरुद्धकुमारादि बहत्तर कोडि सात सौ मुनि मुक्ति पधारे तिनि को अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।9। रामचंद्र के सुत दोय जिन दीक्षा धरी। लाडनरिंद आदि मनि सब कर्मन हरी।। पावागढ़ के शिखर ध्यान धरिके सही। पांच कोडि मुनि सहित परम पदवी लही।। तिनि के चरण जजौं मैं मन वच काय से। भवदधि उतरौं पार शरण तुम आय। ऊँ ह्रीं पावागढ़ शिखर सेती लाडनरिंद आदि पांच कोडि मुनि मुक्ति पधारे तिनि को अयं निर्वपामीति स्वाहा।10। 792

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