Book Title: Chovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 775
________________ स्वच्छ शालि शुचि नीरज रज - सम, गंध - अखंड प्रचारी । अक्षय-पद के पावन-कारन, पूजें भवि जगतारी॥ परम पूज्य वीराधिवीर जिन, बाहुबली बलधारी । तिनके चरण-कमल को नित-प्रति, धोक त्रिकाल हमारी॥ ॐ ह्रीं श्री बाहुबली-परमयोगीन्द्राय अक्षयपद-प्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा।। हरि हर चक्रपति सुर दानव, मानव पशु बस जा के। तिहि मकरध्वज-नाशक जिन को, पूजौं पुष्प चढ़ाके ॥ परम पूज्य वीराधिवीर जिन, बाहुबली बलधारी । तिनके चरण-कमल को नित-प्रति, धोक त्रिकाल हमारी॥ ॐ ह्रीं श्री बाहुबली-परमयोगीन्द्राय कामबाण-विध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा॥ दुःखद त्रिजग-जीवन को अति ही, दोष-क्षुधा अनिवारी । तिहि दुःख दूर करन को चरुवर ले जिन-पूज प्रचारी ॥ परम-पूज्य वीराधिवीर जिन, बाहुबली बलधारी। तिनके चरण-कमल को नित-प्रति, धोक त्रिकाल हमारी॥ ॐ ह्रीं श्री बाहुबली-परमयोगीन्द्राय क्षुधारोगविनाशाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा। मोह-महातम में जग जीवन, शिव-मग नाहिं लखावे। तिहि निरवारन दीपक कर ले, जिनपद-पूजन आवे || परम-पूज्य वीराधिवीर जिन, बाहुबली बलधारी । तिनके चरण-कमल को नित-प्रति, धोक त्रिकाल हमारी॥ ॐ ह्रीं श्री बाहुबली-परमयोगीन्द्रायमोहाधंकारविनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा।। 775

Loading...

Page Navigation
1 ... 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798