Book Title: Chovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 779
________________ स्वयंभू स्तोत्र भाषा (कविवर द्यानतराय) चौपाई राजविषै जुगलनि सुख कियो, राजत्याग भवि शिव लियो। स्वयंबोध स्वयंभू भगवन, वंदौं आदिनाथ गुणखान।1। इन्द्र क्षीरसागर जल लाय, मेरु न्हवाये गाय बजाय। मदन विनाशक सुखकरतार, वंदौं अजित अजि-पदकार।2। शुक्लध्यान करि करम विनाशि, घाति अघाति सकलदुख राशि। लह्यो मुकतिपद सुख अविकार, वंदौं संभव भव दुख टार।। माता पश्चिम रयन मंझार, सुपने देखे सोलह सार। भूप पूछि फल सुनि हरषाय, वंदौं अभिनंदन मनलाय।4। सब कुवाद वादी सरदार, जीते स्याद्वाद धुनि धार। जैन धरम परकाशक स्वाम, सुमतिदेवपद करहुं प्रणाम।5। गर्भ अगाऊ धनपति आय, करी नगर शोभा अधिकाय। बरसे रतन पंचदश मास, नमौं पदमप्रभु सुख की राश।6। इन्द्र फणीन्द्र नरेन्द्र त्रिकाल, बानी सुनि सुन होहिं खुशाल। द्वादश सभा ज्ञान दातार, नमौ सुपारसनाथ निहार।7। सुगुन छियालीस हैं तुम माहिं, दोष अठारह कोऊ नाहिं। मोहमहातप नाशक दीप, नौं चंदप्रभु राख समीप।8। द्वादश विध तप करम विनाश, तेरह विध चारित्र प्रकाश। निज अनिच्छ भवि इच्छकदान, वंदौं पुष्पदंत मन आन।9। भविसुखदाय सुरगतै आय, दशविधि धरम कह्यो जिनराय। आप समान सबनि सुख देह, वंदौं शीतल धर्म सनेह।10। समता सुधा कोपविष नाश, द्वादशांग वानी परकाश। चारसंघ-आनंद-दातार, नमौं श्रेयांस जिनेश्वर सार।11। रतनत्रय चिरमुकुट विशाल, शोभै कंठ सुगुन मनिमाल। मुक्तिनर भरता भगवान, वासुपूज्य वंदौं धर ध्यान।12। 779

Loading...

Page Navigation
1 ... 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798