Book Title: Chovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown
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श्री ऋषि मण्डल पूजा
स्थापना
दोहा - चौबीस जिन पद प्रथमनमि, दुतिय सुगणधर पाय । त्रितिय पंच परमेष्ठी को, चौथे शारद माय ॥
मन वच तन ये चरन युग, करहुं सदा परनाम । ऋषि मण्डल पूजा रचौं, बुधि बल द्यो अभिराम ॥
अडिल्ल छन्द चौबीस जिन वसु वर्ग पंच गुरु जे कहे। रत्नत्रय चव देव चार अवधी लहे ॥
अष्ट ऋद्धि चव दोय सूर ह्रीं तीन जू । अरहंत दश दिग्पाल यन्त्र में लीन जू ॥
दोहा - यह सब ऋषि मण्डल विषै, देवी देव अपार ।
तिष्ठ तिष्ठ रक्षा करो, पूजूं वसु विधिसार ॥
ॐ ह्रीं वृषभादि चौबीस तीर्थंकर, अष्टवर्ग, अर्हतादि पंचपद, दर्शनज्ञान चारित्र रूप रत्नत्रय, चतुर्णिकाय देव, चार प्रकार अवधि धारक श्रमण, अष्ट ऋद्धिधारी ऋषि, चौबीस देवी, तीन ह्रीं, अर्हत बिम्ब, दश दिग्पाल इति यन्त्र सम्बन्धी परमदेव समूह ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् । (इति आह्वाननम्)
ॐ ह्रीं वृषभादि चौबीस तीर्थंकर, अष्टवर्ग, अर्हतादि पंचपद, दर्शनज्ञान चारित्र रूप
रत्नत्रय, चतुर्णिकाय देव, चार प्रकार अवधि धारक श्रमण, अष्ट ऋद्धिधारी ऋषि, चौबीस देवी, तीन ह्रीं, अर्हत बिम्ब, दश दिग्पाल इति यन्त्र सम्बन्धी परमदेव समूह!. समूह !
अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः। ( स्थापनम् )
ॐ ह्रीं वृषभादि चौबीस तीर्थंकर, अष्टवर्ग, अर्हतादि पंचपद, दर्शनज्ञान चारित्र रूप रत्नत्रय, चतुर्णिकाय देव, चार प्रकार अवधि धारक श्रमण, अष्ट ऋद्धिधारी ऋषि, चौबीस देवी, तीन ह्रीं, अर्हत बिम्ब, दश दिग्पाल इति यन्त्र सम्बन्धी परमदेव समूह! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् । (सन्निधिकरणम्)
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