Book Title: Chandra Charitram
Author(s): Vijaychandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 320
________________ अथ ग्रन्थकृत्प्रशस्तिः २९५ इदं पवित्रं श्रीचन्द्र-चरित्रं प्राणयच्छुभम् । तद् गुरूणां शयाम्भोज-द्वन्द्वे स च समार्पयत् ।।११ ॥ वस्वाकाशवियन्नेत्र-मिते( २००८) वैक्रमवत्सरे। नेम्यब्दे वेह्निसंख्याते(३), पूर्णो ग्रन्थः शरद्विधौ ।।१२ ॥ (वसन्ततिलकावृत्तम्) जीयाद् यशोबलसमृद्धिसुशीलपद्म भानुः शुभङ्करगुणोदयसिद्धिपूर्णः । विज्ञान एष मुनिवल्लभमुन्निधान कस्तूरयद्विनयकैरवचन्द्र आर्यः ॥१३ ॥

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